हल्द्वानी। मानवाधिकार दिवस के अवसर पर भाकपा (माले) द्वारा घोषित राष्ट्रीय प्रतिवाद दिवस पर बुद्धपार्क में आयोजित धरना-प्रदर्शन को संबोधित करते हुए माले राज्य सचिव कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल भारत के धर्मनिरपेक्ष बहुलतावादी संविधान को खत्म करने की साजिश है, ताकि आरएसएस अपने सवर्ण हिन्दुत्ववादी-मनुवादी समाज व्यवस्था को लागू करवा सके। जोकि एक तानाशाही राज्य की अवधारणा है।
गिरीश गैरोला
सभा को संबोधित करते हुये माले जिला सचिव डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि अगर शरणार्थियों को शरण देने की ही बात है तो मोदी सरकार शरणार्थियों को धर्म के आधार पर क्यों बांट रही है। केवल उन्हीं तीन देशों को क्यों चुना गया है जो मुस्लिम बहुल हैं। किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी ने कहा कि जेएनयू, डीयू और अन्य शैक्षणिक संस्थाओं में फीस वृद्धि के खिलाफ चल रहे आंदोलनों पर दमन और हमला शिक्षा के निजीकरण की ओर धकेलने का कदम है। धरने में मुख्य रूप से माले की केंद्रीय कमेटी के सदस्य संजय शर्मा, वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी, अम्बेडकर मिशन के अध्यक्ष जीआर टम्टा, भुवन जोशी, आनन्द सिंह सिजवाली, गोविंद जीना, स्वरूप सिंह दानू, नैन सिंह कोरंगा, गिरीश जोशी, डॉ. अचिंतो मंडल, कार्तिक सरकार, इस्लाम हुसैन, सुंदर लाल बौद्ध, विमला रौथाण, गणेश दत्त पाठक, उमरदीन, मेहरून खातून, शेर सिंह पपोला, एन डी जोशी, ललित मटियाली, रमेश ब्रिजवाल, पुष्कर दुबडिया, कमल जोशी, मोहन लाल आर्य, बपनी राम, त्रिलोक राम, नारायण सिंह, किशन बघरी, ललित जोशी, दीप पाठक, रूबी भारद्वाज, देवेन्द्र रौतेला, निर्मला शाही, सुधा देवी, हरीश राम, अजय प्रसाद आदि बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।