“अब ‘सरकारी कार्यक्रम’ में दिखेगा ग्रामीण महिलाओं का हुनर!” 🚨
👉 मुख्य सचिव का बड़ा आदेश: स्वयं सहायता समूहों को मिलेगी सरकारी प्राथमिकता
🌾 “जहां अब तक बड़े ठेकेदारों का बोलबाला था, अब वहां गांव की बेटियां बनाएंगी पहचान!”
देहरादून, 19 जून 2025 —
उत्तराखंड के सरकारी गलियारों में एक नई क्रांति की आहट सुनाई दे रही है। मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों, विभागाध्यक्षों और जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि राज्य के स्वयं सहायता समूहों (SHG) को अब हर सरकारी कार्यक्रम, बैठक और आयोजन में प्राथमिकता दी जाए।
🟡 यह निर्देश सिर्फ एक फाइल नहीं, हजारों ग्रामीण महिलाओं की ज़िंदगी बदलने का ऐलान है।
👩🌾 अब महिलाएं देंगी स्वाद, सेवा और स्वाभिमान
उत्तराखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित महिला समूह खाद्य प्रसंस्करण, कैंटीन संचालन, हस्तशिल्प निर्माण जैसी गतिविधियों में उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं।
🔹 “हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारी बनी मिलेट कुकीज़ किसी मंत्री के चाय में परोसी जाएंगी,” — कहती हैं चमोली की सरस्वती देवी, एक SHG सदस्य।
🔹 इन महिलाओं के उत्पाद स्वच्छता और गुणवत्ता के मानकों को पूरा करते हैं — और अब इनका स्वाद मिलेगा मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक को।

🏛️ हर सरकारी आयोजन में SHG की मौजूदगी जरूरी!
मुख्य सचिव ने कहा है:
✔️ हर सरकारी/अर्ध-सरकारी कार्यक्रम की कैटरिंग SHG से कराई जाए
✔️ विशिष्ट अतिथियों को स्मृति चिन्ह के रूप में स्थानीय हस्तशिल्प या ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड का उपहार दिया जाए
✔️ जलपान व्यवस्था में मिलेट और स्थानीय पोषक उत्पादों को प्राथमिकता मिले
✔️ सरकारी कैंटीन व आउटलेट के संचालन हेतु SHG को प्राथमिकता दी जाए
💬 “अब फाइव-स्टार कैटरिंग नहीं, गांव की मिट्टी में रचा-पगा स्वाद मिलेगा सरकारी थाल में,” — एक अधिकारी ने कहा।
💡 बदलाव की यह लहर, सिर्फ नीतियों की नहीं — नीयत की है!
अब जब उत्तराखंड की सरकार गांव की रसोई से राजधानी की बैठक तक ग्रामीण महिलाओं को लाने की कोशिश कर रही है — तो सवाल आपसे भी है:
क्या हम अपने आयोजनों में इन मेहनतकश महिलाओं को जगह दे रहे हैं?
👉 अब वक्त है, सिर्फ तालियां नहीं — उन्हें मौके दिए जाएं!
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