उत्तरकाशी में रात 2 बजे मलबे में दफन हुआ पूरा परिवार – 4 की मौत

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उत्तरकाशी में आधी रात का कहर!
नींद में सोते परिवार को दीवार ने दफनाया – चार की मौत, गांव में मातम


🌧️ बरसात बनी काल, एक ही परिवार के उजड़े चिराग
मोरी के ओडाटा गांव में दीवार ढही, मां-बाप और दो मासूमों की दर्दनाक मौत


उत्तरकाशी | मोरी तहसील
रात के दो बजे थे। ओडाटा गांव का मोरा तोक सन्नाटे में डूबा था। लेकिन उस सन्नाटे को एक भयानक धमाके ने चीर दिया — एक मकान की दीवार अचानक ढह गई।
उसके मलबे में गुलाम हुसैन का पूरा परिवार जिंदा दफन हो गया।

इस हादसे में गुलाम हुसैन (26), उनकी पत्नी रुकमा खातून (23), तीन साल का बेटा आबिद, और दस महीने की मासूम सलमा — चारों की मौके पर ही मौत हो गई।


🧱 नींद में ही चली गई ज़िंदगी

गुलाम हुसैन के छोटे से कच्चे मकान की दीवार इतनी कमजोर थी कि लगातार बारिश ने उसे भीतर से खोखला कर दिया था।
घर के लोग गहरी नींद में थे… और फिर एक ही झटके में सब कुछ खत्म हो गया।


🚨 प्रशासन मौके पर, लेकिन सवाल भी वहीं!

तहसीलदार मोरी, राजस्व उपनिरीक्षक, SDRF और पुलिस टीम मौके पर पहुंच चुकी है।
रात के अंधेरे में टॉर्च की रोशनी में चल रहा था मलबा हटाने का काम, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

स्थानीय लोग रोते-बिलखते रहे, प्रशासन को घेरते रहे।

“अगर पहले ही मकानों की जांच होती… अगर बस्ती को खतरे की सूचना दी जाती… तो शायद आज चार लाशें ना उठतीं।” — गांव के बुजुर्ग सलीम अंसारी


📸 गांव में पसरा मातम, रोती आंखें और सन्नाटा

गुलाम हुसैन मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालते थे।
उनके बच्चों की हंसी अब सन्नाटे में बदल चुकी है।
मोरी गांव की यह बस्ती अब सिर्फ एक त्रासदी की याद है।


🧠 सोचने का वक्त: कब जागेगा सिस्टम?

बारिश आती है, खतरे की सूचनाएं आती हैं, लेकिन क्या ज़मीनी हकीकत तक कोई पहुंचता है?
कच्चे मकानों की जांच क्यों नहीं होती?
बस्तियों को पहले से खाली क्यों नहीं करवाया जाता?


🔚 अंतिम संदेश

एक ही झटके में उजड़ गया पूरा परिवार।
प्रशासन जागेगा कब? जब हर गांव से चार अर्थियां उठेंगी?
अब नहीं तो कब? अब नहीं जागे तो फिर कभी नहीं।

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