“पहाड़ की बेटी बनी ‘फूड क्वीन’ – रंजना रावत ने रच डाली आत्मनिर्भरता की नई कहानी!”

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“रोजगार की रसोई में गूंथी उम्मीद – फूड प्रोसेसिंग से महिलाएं बन रहीं आर्थिक शक्ति, चारधाम यात्रा पर बिक रहे पहाड़ी उत्पाद”


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टिहरी की एक साधारण महिला ने असाधारण मिसाल कायम कर दी है।
ग्राम सुपाना की रंजना रावत अब सिर्फ एक गृहिणी नहीं, बल्कि एक प्रेरणा हैं। फूड प्रोसेसिंग के ज़रिए न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि दर्जनों महिलाओं को रोज़गार से जोड़ा।

रंजना ने ग्रामोत्थान परियोजना और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के साथ मिलकर “खुशहाल स्वयं सहायता समूह” की स्थापना की। 10 महिलाओं के साथ उन्होंने फूड प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत की और धीरे-धीरे इसे एक कामयाब बिज़नेस मॉडल में बदल डाला।

“हमने अपने संसाधनों से जूस मशीन, मिक्सर, पल्पर और वेट मशीन खरीदी हैं। आज हमारा जूस – माल्टा, बुरांश, गुलाब – यात्रियों और बाज़ार दोनों में खूब बिकता है,” रंजना रावत ने मुस्कुराते हुए बताया।

💸 कमाई और आत्मनिर्भरता

हर महीने 20 से 25 हज़ार की कमाई और अन्य महिलाओं को प्रतिदिन ₹250 का रोजगार…
यह कहानी एक आर्थिक बदलाव की है।
रंजना अब प्रशिक्षण देकर अन्य महिलाओं को भी सशक्त बना रही हैं।


🛍️ चारधाम यात्रा बनी अवसर

चारधाम यात्रा मार्ग पर हिमान्य आउटलेट में उनके उत्पाद – अचार, जूस और पहाड़ी दालें – खूब बिक रही हैं।
“यात्री हमारे लोकल प्रोडक्ट को पसंद करते हैं। बुरांश और माल्टा के जूस की खूब डिमांड रहती है,” रंजना कहती हैं।

विकास भवन से लेकर 3K आउटलेट तक, अब उनके उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है।
यह बिज़नेस अब एक आंदोलन बन चुका है।


📣 स्थानीय प्रतिक्रिया

जिलाधिकारी नितिका खण्डेलवाल ने स्वयं सहायता समूहों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा,

“ऐसे छोटे-छोटे प्रयास पहाड़ की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं। रंजना जैसी महिलाएं हमारे लिए रोल मॉडल हैं।”


🔚 Closing Line / Message

एक महिला की हिम्मत ने कई घरों में रौशनी कर दी है।
रंजना रावत की यह कहानी बताती है – अगर सोच सशक्त हो, तो पहाड़ की हर बेटी आर्थिक चोटी तक पहुंच सकती है।
👉 अब वक्त है कि हम ऐसे प्रयासों को पहचाने, सराहें और आगे बढ़ाएं।


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