DM प्रशांत आर्य ने पंचायत चुनावों को लेकर कसी कमान, संवेदनशील बूथों पर होगी विशेष नजर

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“लोकतंत्र का इम्तिहान: पारदर्शिता की कसौटी पर खरा उतरने को तैयार प्रशासन!”


📍 जिला सभागार से – रिपोर्ट Meru Raibar News

“निष्पक्षता के बिना लोकतंत्र सिर्फ एक शब्द है।”
इसी भावना के साथ जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने आज आगामी पंचायत चुनावों को लेकर जिले की प्रशासनिक मशीनरी को एकजुट किया। एक ओर लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने की जिम्मेदारी, दूसरी ओर व्यवस्था की परीक्षा — इस दोराहे पर खड़े हैं पंचायत चुनाव।


✅ वोटर को मिलेगा अधिकार के साथ सम्मान

DM आर्य ने समीक्षा बैठक में दो टूक कहा — “हर मतदाता, चाहे वह दिव्यांग हो या बुजुर्ग, उसे मतदान केंद्र पर पूरा सम्मान और सुविधा मिलनी चाहिए।”
उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी मतदान केंद्रों पर पेयजल, बिजली, शौचालय और रैंप जैसी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था समय से पूरी की जाए।


🚨 संवेदनशील बूथों पर रहेगी प्रशासन की पैनी नजर

प्रशांत आर्य ने कहा, “जहाँ डर है, वहाँ लोकतंत्र नहीं होता।”
संवेदनशील और अति-संवेदनशील बूथों की पहचान कर वहां अतिरिक्त सुरक्षा बल, CCTV, और निगरानी के विशेष इंतजाम किए जाएंगे।


👥 हर कर्मचारी बनेगा जिम्मेदार प्रहरी

DM ने चुनाव प्रक्रिया में लगे सभी कर्मचारियों की तैनाती, प्रशिक्षण और संसाधन की तैयारियों की बारीकी से समीक्षा की। उन्होंने कहा, “मतगणना की सटीकता से लेकर बैलट पेपर की सुरक्षा तक, हर जिम्मेदारी एक वचन है — जनता से, संविधान से।”


⚖️ आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होगा बर्दाश्त

आचार संहिता को लेकर जिलाधिकारी ने साफ चेतावनी दी — “किसी भी राजनीतिक दबाव में आए बिना, हर उल्लंघन पर तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। लोकतंत्र की शुचिता से कोई समझौता नहीं होगा।”


🤝 प्रशासन में दिखी एकजुटता

बैठक में CDO एसएल सेमवाल, ADM मुक्ता मिश्र, SDM शालिनी नेगी, PD अजय सिंह, CFO शिवेंद्र कुमार, और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी ने एक बात साफ कर दी — “ये चुनाव सिर्फ मतों का नहीं, भरोसे का भी है।”


📢 अंतिम पंक्ति — सोचने को मजबूर करती है:
जब बूथ पर खड़ा एक मतदाता निर्भय होकर वोट डाल सके, तभी सच्चे लोकतंत्र की तस्वीर बनती है। क्या हम उस तस्वीर को मुकम्मल बना पाएंगे? फैसला सिर्फ बैलेट बॉक्स नहीं करेगा, हमारी नीयत भी करेगी।


🖋️ रिपोर्ट: Meru Raibar News
📍 उत्तराखंड की मिट्टी से, आपके हक़ की आवाज़


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