“मौत के मुहाने पर ज़िन्दगी: उत्तरकाशी में मलबे में दबी साँसे, चमत्कारिक रेस्क्यू ने बचाई बेजुबानों की जान!”

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भारी बारिश, भरभरा कर गिरा मकान, गाँववालों ने दिखाया हौसला – एक बड़ी त्रासदी होते-होते टली

उत्तरकाशी ज़िले के गमरी चिन्यालीसौड़ से एक दहला देने वाला हादसा सामने आया है। रातभर की मूसलाधार बारिश के बाद गाँव के निवासी भगवती प्रसाद नौटियाल का मकान अचानक भरभरा कर जमींदोज़ हो गया। मकान के मलबे में उनके पशु दबकर फँस गए, और चारों ओर चीख-पुकार मच गई।

मंज़र ऐसा था मानो कयामत टूट पड़ी हो। भगवती प्रसाद ख़ुद भी मलबे में फँस गए और गाँव में अफरातफरी मच गई। पर इस मुश्किल घड़ी में इंसानियत की मिसाल पेश की गाँववालों, स्थानीय समाजसेवियों और विद्यालय के स्टाफ व छात्रों ने।

“भगवान की कृपा रही कि जान बच गई। हालात बेहद ख़तरनाक थे। बच्चों, स्कूल स्टाफ और गाँव वालों की सूझबूझ ने ही चमत्कार कर दिया।” – सुरेश सेमवाल, सामाजिक कार्यकर्ता

मौके पर मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश सेमवाल ने बताया कि गाँव के लोग, नज़दीकी विद्यालय का स्टाफ और छात्र तुरंत मलबा हटाने में जुट गए। कंधों से, हाथों से, फावड़ों से, जो मिला उसी से मलबा हटाया गया।

कुछ घंटों की जद्दोजहद के बाद भगवती प्रसाद को हल्की चोटों के साथ सुरक्षित बाहर निकाला गया। सबसे बड़ी राहत ये रही कि मलबे में दबे सभी पशु जिंदा निकले।

“ऐसी स्थिति थी कि कोई बड़ा हादसा हो सकता था। लेकिन गाँववालों के हौसले ने सब कुछ बदल दिया।” – सुरेश सेमवाल

गाँव के बुज़ुर्गों की आँखें छलक आईं, क्योंकि सबको डर था कि किसी की जान न चली जाए। गाँव की महिलाओं ने भगवती प्रसाद और पशुओं की सलामती के लिए पूजा-पाठ शुरू कर दिया।

भगवान का करिश्मा कहें या इंसानी हिम्मत, पर ये हादसा एक बार फिर याद दिला गया कि मुसीबतों में भी इंसानियत ही सबसे बड़ी ताकत है।

सोचिए… अगर ये गाँववाले हाथ पर हाथ धरे रहते, तो आज कहानी कुछ और होती।


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