👉 देहरादून में वर्षों बाद खुलीं 17 नई सरकारी सस्ता गल्ला दुकानें
👵👩🦱 | 💼 दर्जनों परिवारों को मिला रोज़गार | 💪 स्वार्थी ताक़तों को मात
📰 शुरुआत वहीं से, जहां फाइलें ‘दबी’ थीं –
देहरादून के प्रशासनिक गलियारों में एक फाइल पिछले कई वर्षों से खामोश पड़ी थी। सस्ते गल्ले की दुकानों को लेकर चल रही थी रहस्यमयी चुप्पी। शहर बढ़ता गया, ज़रूरतें बढ़ती गईं – लेकिन राशन की दुकानों की गिनती जस की तस।

🔥 फिर आया एक प्रशासनिक तूफान – DM सविन बंसल।
जैसे ही जिलाधिकारी सविन बंसल की नज़र उस पुरानी, धूल से अटी फाइल पर पड़ी – एक दबा हुआ मुद्दा हेडलाइन बन गया। आदेश हुआ – “टेंडर निकालो, प्रक्रिया शुरू करो।” और फिर… 17 नई सरकारी सस्ता गल्ला दुकानें खोल दी गईं।
💬 “अब हमारी दादी को लाइन में धूप में नहीं खड़ा होना पड़ेगा!” – स्थानीय निवासी, रायपुर।
💬 “पिछले साल गर्मियों में मेरी मां चक्कर खा गई थीं लाइन में। ये कदम राहत लेकर आया है!” – जैन प्लॉट की अंजलि।
📌 कहां-कहां खुलीं नई दुकानें?
नक्शे पर देखिए – क्लेमेंटाउन से लेकर ऋषिकेश तक, हर परिक्षेत्र में नई दुकानें आबंटित:
- लक्खीबाग – जुबेर अंसारी
- इन्द्रपुरी फार्म – अशोक परिहार
- भण्डारी बाग – नूपुर गोयल
- कैनाल रोड – सुशीला
- नत्थुवाला – सिद्धार्थ अरोड़ा
- शांति बिहार – सूर्य ढींगरा
- विजय पार्क – सतीश
- नेहरू ग्राम – अनुपमा यादव
- वाणी विहार – शशांक
- IDPL ऋषिकेश – प्रीति दीक्षित
- चोयला – मोहित सिंह
- देहराखास कारगी – बैजंती माला यादव
- ब्रहमपुरी – जसवीर सिंह
- बंजारावाला – अलीशा जावेद
- हरबंशवाला – सोनाली पाल
- महेश्वरी विहार – पुलमा
🌧️☀️ कभी तपती दोपहरें, कभी बारिश की मार – अब नहीं सहनी होगी राशन की कतार।
सालों से चलती आ रही एक असुविधा का अंत अब दिखाई दे रहा है। पारदर्शिता के साथ की गई यह नियुक्ति न केवल रोज़गार दे रही है, बल्कि महिलाओं और वंचित वर्ग के लिए भी उम्मीद की किरण बनकर आई है।
⚖️ प्रशासन का यह फैसला एक नज़ीर है – जब इच्छा हो, तो व्यवस्था बदलती है।
ये सिर्फ दुकानें नहीं हैं – ये ‘आशा के केंद्र’ हैं। जहां राशन मिलेगा, राहत मिलेगी, और सबसे बढ़कर – विश्वास लौटेगा।
🕯️ सोचिए – अगर एक फाइल से इतनी राहत आ सकती है, तो बाकी फाइलों में क्या-क्या दबा है?
🌱 सवाल अब ये है – अगली जागती आंखें कौन सी होंगी?
✍️ रिपोर्ट – Meru Raibar News | देहरादून से
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