💥 “डीएम सविन बंसल का जनदर्शन: सुनवाई से समाधान तक — एक आदेश, और बदली कई ज़िंदगियाँ”
🏛️ सबहेडिंग (Subheading):
अनाथ बच्चों को स्पॉन्सरशिप स्कीम, विधवाओं को राहत, बीमार बच्चों का इलाज, पेंशन अटकी तो 3 दिन में रिपोर्ट तलब — डीएम बने जनता के ‘संवेदनशील अभिभावक’।

✍️ न्यूज़ स्क्रिप्ट (Digital Hindi Style):
देहरादून, 10 नवम्बर 2025।
ऋषिपर्णा सभागार एक बार फिर इंसाफ और उम्मीद की आवाज़ों से गूंज उठा।
डीएम सविन बंसल के जनदर्शन कार्यक्रम में आज 184 शिकायतें आईं — और कई फरियादियों की आंखें राहत के आँसुओं से भीग गईं।
यह सिर्फ एक प्रशासनिक सुनवाई नहीं थी — यह संवेदनशील शासन का चेहरा था।
किसी को पढ़ाई का हक़ मिला, किसी को इलाज की उम्मीद, किसी की पेंशन जगी, तो किसी का दर्द पहली बार किसी ने सुना।
👩👧👦 अनाथ जुड़वा बच्चों को नया सहारा
रायवाला के अक्षर और वैभव, जिनके माता-पिता की मृत्यु के बाद सौतेली माँ सब लूटकर फरार हो गई थी — अब उनके भविष्य की डोर डीएम ने खुद थाम ली।
डीएम बंसल ने एडीएम को पिता की संपत्ति बच्चों के नाम कराने और डीपीओ को “वात्सल्य स्पॉन्सरशिप स्कीम” से जोड़ने के निर्देश दिए।
अब ये दोनों मासूम बच्चे न सिर्फ पढ़ पाएंगे, बल्कि अपने अधिकारों के साथ बढ़ेंगे।
👶 बीमार बच्चे को मिला जीवन का मौका
बिहार की सुधा देवी का दो साल का बेटा गंभीर रोग से जूझ रहा था।
डीएम के आदेश पर बच्चे को दून अस्पताल में भर्ती कराया गया और एसडीएम को खुद मॉनिटरिंग का जिम्मा सौंपा गया।
अगर जरूरत पड़ी, तो इलाज निजी अस्पताल में भी कराया जाएगा — “कोई भी बच्चा पैसे की कमी से न मरे”, यह डीएम का स्पष्ट संदेश था।
🎗️ कैंसर पीड़ित रेनू, विधवा पूजा, और नेहा को राहत
रेनू के इलाज के लिए राइफल फंड से आर्थिक मदद,
विधवा पूजा को भरण-पोषण सहायता,
और नेहा को ऋण माफी और राहत —
हर केस में जिलाधिकारी ने मौके पर निर्णय लेकर मानवता का परिचय दिया।
🧓 बुजुर्गों की सुरक्षा पर सख्त रुख
एक मामला ऐसा भी था जहां शराबी बेटों ने अपने बुजुर्ग माता-पिता को प्रताड़ित किया।
डीएम ने बिना देरी किए गुंडा एक्ट में मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया।
संदेश साफ था — “बुजुर्गों का अपमान, अब बर्दाश्त नहीं!”
💼 पेंशन और बकाया मामलों पर सीधा एक्शन
सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापिका रेखा गुप्ता सात माह से पेंशन के लिए भटक रहीं थीं।
डीएम ने सीईओ को फटकार लगाते हुए कहा — “तीन दिन में रिपोर्ट दो, वरना जवाब दो!”
🏦 ऋण माफी और किसानों की फरियादें भी सुनीं
फरियादियों में कई महिलाएं बैंक रिकवरी से परेशान थीं।
डीएम ने बैंक और सीडीओ को जांच के निर्देश दिए और कहा — “जनता की तकलीफ में कोई लापरवाही नहीं चलेगी।”
💬 डीएम सविन बंसल बोले:
“जन अपेक्षाएं बढ़ी हैं, और हमें उसी के अनुरूप जवाब देना होगा।
समाधान सिर्फ फाइलों में नहीं, जनता की आंखों की राहत में दिखना चाहिए।”
🙏 समापन (Closing Line):
जनदर्शन का यह दृश्य केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं था —
यह एक सजीव उदाहरण था कि जब शासन में संवेदना जुड़ जाए, तो हर फरियाद का अंत ‘राहत’ में होता है।
