🟥 देहरादून में दिल दहला देने वाली घटना — शराबी पति ने पत्नी और 10 वर्षीय बेटी को जलाने की कोशिश, DM से लगाई गुहार
💔 “हर रात डर में कटती है ज़िंदगी… पति तेज़ाब डालने की धमकी देता है” — व्यथित हेमलता की आंखों में आंसू, आवाज़ में चीख थी
देहरादून।
देवभूमि की शांत वादियों में एक मां और बेटी के दर्द ने प्रशासन को झकझोर दिया है।
11 नवंबर 2025 को जिलाधिकारी (DM) कार्यालय में एक पीड़ित महिला हेमलता अपने 10 वर्षीय मासूम बेटी के साथ पहुंची — आंखों में आंसू, और हाथों में न्याय की गुहार लिए।

🧨 पति की दरिंदगी की हद — जलाने और तेज़ाब डालने की कोशिश
हेमलता ने जिलाधिकारी सविन बंसल के सामने बताया कि उनका पति, जो अर्द्धसैनिक बल में कार्यरत है,
रोज़ाना शराब पीकर नशे में घर आता है और पत्नी-बेटी पर अत्याचार करता है।
एक दिन उसने दोनों को आग लगाकर मारने और तेज़ाब डालने की कोशिश की।
हेमलता की रुंधी आवाज़ —
“साहब, अब तो बस जान बचा लीजिए… मुझे डर है, वो हमें जिंदा नहीं छोड़ेगा।”
⚖️ DM ने दिलाई त्वरित राहत — ऑनलाईन FIR दर्ज
जिलाधिकारी सविन बंसल ने हेमलता की गुहार सुनते ही तुरंत ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश दिए
और कलेक्ट्रेट प्रभारी अधिकारी को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए।
DM ने कहा कि ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई और मॉनिटरिंग दोनों जरूरी हैं।
“किसी भी महिला की सुरक्षा से समझौता नहीं होगा। हर शिकायत पर कार्रवाई होगी।” — सविन बंसल, जिलाधिकारी देहरादून
🚨 हर दिन बढ़ रहे हैं घरेलू हिंसा के मामले
जिलाधिकारी कार्यालय में ऐसे दर्जनों मामले रोज़ पहुँच रहे हैं —
जहाँ महिलाएँ, बेटियाँ या बुजुर्ग परिवार के भीतर ही हिंसा और प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं।
सिर्फ़ इस वर्ष 110 से अधिक ऑनलाइन FIR दर्ज की जा चुकी हैं।
DM के जनता दर्शन में भी हर हफ्ते 5 से 7 प्रकरण सामने आ रहे हैं।
प्रशासन लगातार इन मामलों की मॉनिटरिंग कर रहा है ताकि किसी पीड़ित की आवाज़ दब न सके।
🙏 समाज से सवाल – कब बदलेगा यह दर्दनाक सच?
हेमलता की आंखों में अब भी डर है, लेकिन उसके भीतर उम्मीद की लौ जल रही है —
कि शायद इस बार न्याय मिलेगा।
उसकी कहानी सिर्फ़ उसकी नहीं,
उन सैकड़ों महिलाओं की कहानी है जो चुपचाप सहती हैं, लेकिन बोल नहीं पातीं।
“अगर घर ही सुरक्षित नहीं, तो फिर समाज किस दिशा में जा रहा है?”
🕊️ अंतिम पंक्ति (Closing Line):
हेमलता ने हिम्मत दिखाई — और यही हिम्मत अब हर पीड़ित महिला की आवाज़ बननी चाहिए।
देहरादून की यह गुहार सिर्फ़ एक FIR नहीं, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी है —
“चुप रहना अब अपराध है।”
