“बैंक की मनमानी पर DM का ‘सुपर एक्शन’!
🟠 सबहेडलाइन
**बीमा क्लेम मिलने के बाद भी बैंक की ज़िद – ‘3.30 लाख दो नहीं तो संपत्ति जब्त!’
DM बंसल के डंडे से टूटा तुगलकी फरमान, बैंक ने फौरन चेक काटा**
🟢 ओपनिंग (HOOK)
देहरादून में एक बुजुर्ग विधवा और उनकी असहाय पुत्री के साथ बैंक ऑफ बड़ौदा की कथित मनमानी ने जिला प्रशासन को भी सख्त कर दिया। बीमा क्लेम आने के बाद भी बैंक का जबरन वसूली का दबाव… संपत्ति जब्त करने की धमकी…
और फिर—DM सविन बंसल का एक ‘Order’ जिसने 24 घंटे में पूरी तस्वीर बदल दी।
📰 मुख्य कहानी —
देहरादून की विधवा कमलेश देवी और उनकी बेटी प्रीति पिछले महीनों से बैंक के चक्कर लगा-लगाकर टूट चुकी थीं।
पिता की अचानक मृत्यु के बाद भी ऋण की किस्तों का सवाल ही नहीं था—क्योंकि ऋण बीमित था।
बीमा कंपनी ने जून 2025 में पूरी राशि बैंक में जमा भी करा दी।
लेकिन बैंक का कहना—“अब भी 3.30 लाख जमा करो! नहीं तो घर जब्त कर लेंगे…”
प्रीति के मुताबिक—
“क्लेम जमा होने के बाद भी हमें धमकाया जा रहा था। हम टूट चुकी थीं…”

🔴 DM बंसल का गुस्सा—“इस जिले में मनमानी नहीं चलेगी!”
जैसे ही मामला जिलाधिकारी सविन बंसल के संज्ञान में आया,
उन्होंने तत्काल SDM (न्याय) कुमकुम जोशी को मौके पर कार्रवाई का आदेश दिया।
जांच में चौंकाने वाला खुलासा—
👉 बैंक ने क्लेम आने के बावजूद गलत तरीके से वसूली का दबाव बनाया।
👉 ‘नो ड्यूज’ देने से इनकार।
👉 संपत्ति जब्त करने की तैयारी।
DM के आदेश पर बैंक की ₹3,30,980 की RC काटी गई।
नतीजा?
सिर्फ 24 घंटे में बैंक ने हार मानी…
और प्रीति के नाम 3.30 लाख रुपये का चेक जारी कर दिया।
जिलाधिकारी ने खुद चेक सौंपते हुए कहा—
“इस जिले में किसी नागरिक के साथ वित्तीय संस्थानों की मनमानी हरगिज बर्दाश्त नहीं होगी।”
🟣 भावनात्मक क्षण
चेक मिलते ही प्रीति और उनकी मां की आंखें भर आईं।
“हमने उम्मीद ही छोड़ दी थी… DM साहब हमारे लिए फरिश्ता बनकर आए।”
– प्रीति सिंह
जिला प्रशासन के दफ्तर में मौजूद अधिकारी भी इस तेज़ कार्रवाई से हैरान थे।
🟡 स्थानीय रंग
शहर में यह मामला चर्चा का विषय बन गया—
“बैंक मनमानी करे तो किसके पास जाएंगे?”
इस सवाल का जवाब—
DM का दखल और त्वरित एक्शन।
देहरादून प्रशासन लगातार ऐसे मामलों पर ज़ीरो-टॉलरेंस दिखा रहा है।
लोगों में भरोसा—“अब गलत करने वालों को बच निकलने का मौका नहीं मिलेगा।”
🔵 क्लोजिंग लाइन
जिला प्रशासन का संदेश साफ—
“कानून से ऊपर कोई नहीं…
और जनता की आवाज़ दबाने का हक किसी को नहीं!”
