मानव-वन्यजीव संघर्ष पर अब “एक्शन मोड” 🚨 वन मंत्री का सख्त अल्टीमेटम:

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कैमरे, सोलर लाइट, पिंजरे—जंगल से लेकर गांव तक निगरानी, शीतकालीन पर्यटन के लिए SOP तुरंत लागू

देहरादून | 16 दिसंबर 2025
राजपुर रोड स्थित राज्य वन मुख्यालय में आज माहौल साफ था—निर्देश नहीं, परिणाम चाहिए।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने वन विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मानव-वन्यजीव संघर्ष, वनाग्नि, शीतकालीन पर्यटन और योजनाओं के क्रियान्वयन पर कड़ा रुख अपनाया और समयबद्ध, ठोस कार्ययोजना पर तत्काल अमल के आदेश दिए।


🐾 मानव-वन्यजीव संघर्ष: “निगरानी 24×7, रिस्पॉन्स तुरंत”

मंत्री ने साफ कहा—

“संवेदनशील इलाकों में कैमरों से निरंतर निगरानी रखें। कहीं भी घटना हो—SDO और DFO तुरंत मौके पर पहुंचें।”

निर्देशों की सूची लंबी थी, संदेश एक—शून्य लापरवाही:

  • आबादी क्षेत्रों में सोलर लाइट, पिंजरे, आधुनिक उपकरण
  • जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों से सीधा संवाद
  • पम्पलेट, बैनर, होर्डिंग्स व सोशल मीडिया से जागरूकता

🔥 वनाग्नि पर अभी से तैयारी—कल नहीं, आज

शीतकाल में ही वनाग्नि रोकथाम की तैयारी शुरू करने के निर्देश देते हुए मंत्री ने कहा कि हर विभागीय कार्य गुणवत्ता के साथ, समय पर पूरा हो।


❄️ शीतकालीन पर्यटन: SOP तुरंत लागू

वन मंत्री ने शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तैयार SOP को तत्काल लागू करने के निर्देश दिए—

“इको-टूरिज्म गतिविधियों को तेज़ करें—रोज़गार भी बढ़ेगा, संरक्षण भी।”


🌲 पारदर्शिता, बजट और जवाबदेही—तीनों अनिवार्य

  • हक-हकूक समय-सारिणी की शीघ्र रिपोर्ट
  • कीड़ा-जड़ी संरक्षण, विपणन और वानिकी उत्पादन पर ठोस प्लान
  • नर्सरी वृक्षारोपण एक्शन प्लान वेबसाइट पर अपलोड
  • पेड़ काटने की अनुमति की प्रक्रिया ऑनलाइन, सरल और पारदर्शी

💰 जायका-कैंपा: बजट है, बहाने नहीं

मंत्री ने दो टूक कहा—

“सरकार ने पर्याप्त बजट दिया है। अब लाभ धरातल पर दिखना चाहिए—लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।”

मुख्यमंत्री घोषणाओं के तहत स्वीकृत कार्य शीघ्र पूर्ण कराने के निर्देश भी दोहराए गए।


🧭 बैठक में कौन-कौन रहा मौजूद?

प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, HOFF रंजन मित्र, PCCF बी.पी. गुप्ता, PCCF कपील लाल, PCCF सुबुधी सहित वरिष्ठ अधिकारी; सभी जनपदों के DFO वर्चुअल जुड़े।


🔔 अंतिम पंक्तियाँ

जंगल सुरक्षित तो गांव सुरक्षित।
आज के निर्देश साफ हैं—निगरानी, जवाबदेही और समयबद्ध कार्रवाई—यही जंगल और जनजीवन की सुरक्षा की कुंजी है।

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