देहरादून। कुंभ मेले के कार्यों को पूर्ण कराने की जिम्मेदारी विभागीय सचिवों की होगी। तकनीकि दक्षता वाले विभागों के स्तर पर किये जाने वाले कार्यों में लापरवाही बर्दास्त नहीं की जायेगी। कुंभ मेले के पश्चात् कुंभ के कार्यों एवं व्यवस्थाओं पर किसी भी प्रकार की शिकायत न मिले यह विभागाध्यक्षों की जिम्मेदारी होगी। कार्यदायी संस्थाओं को निर्माण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इसकी व्यवस्था प्राथमिकता पर की जाए। जिन विभागों द्वारा अस्थायी निर्माण कार्य कुंभ मेले के दौरान किये जाने है वे अपना प्रस्ताव तीन दिन के अंदर मेलाधिकारी को उपलब्ध करायें। कुंभ कार्यों की समीक्षा प्रत्येक 15 दिन में मुख्य सचिव के स्तर पर की जाए। कुंभ कार्यों हेतु गठित तकनीकि समिति अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को उपलब्ध कराये। कुंभ के कार्यों को डबल शिफ्ट में कराया जाए। राष्ट्रीय राजमार्ग को सड़क व पुलों के निर्माण के लिये तीन शिफ्ट में कार्य करने की अनुमति प्रदान की जाए।
गिरीश गैरोला
सोमवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आगामी कुंभ मेले की व्यवस्थाओं के संबंध में आयोजित बैठक में विभागीय सचिवों व विभागाध्यक्षों को उपरोक्त निर्देश दिये। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि हरिद्वार में आयोजित होने वाले इस महत्वपूर्ण आयोजन में कलर कल्चर पर भी ध्यान दिया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि स्नान घाटों एवं पार्कों के निर्माण में स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ ही सी.एस.आर. के तहत इसमें सहयोग लिया जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि आगामी कैनाल क्लोजिंग के समय जिन घाटों का निर्माण, पुलों व सौन्दयीकरण के कार्य होने हैं, वह इस अवधि में पूर्ण करा लिये जाए। उन्हांने विभागीय प्रमुखों को सख्त निर्देश दिये कि वे अपने विभागीय कार्य निर्धारित समय सीमा के अन्दर गुणवत्ता के साथ पूर्ण करायें। उन्होंने निर्देश दिये कि कुंभ मेले के सभी प्रकार के स्थायी निर्माण कार्य नवम्बर तक हर हाल में पूर्ण हो जाए। मुख्यमंत्री ने मेला क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने, साफ सफाई व सौन्दर्यकरण पर विशेष ध्यान देने को कहा। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये कि कुंभ मेले के कार्यों को विभागीय अधिकारी शासनादेशों में निर्धारित नियमों व शर्तों के अधीन करें। इसकी अवहेलना करने वाले अधिकारियों के विरूद्व सख्त कार्यवाही की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्माण कार्यो का थर्ड पार्टी ऑडिट कराने के साथ ही कार्यों की तकनीकि गुणवत्ता की गहनता से जांच की जाए। इसमें कमी पाये जाने पर सम्बन्धित अधिकारियों के विरूद्व कठोर कार्यवाही किये जाने के भी उन्होंने निर्देश दिये। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से समन्वय के साथ कार्य करने की भी अपेक्षा की। कार्यों की शीघ्रता के लिये मुख्यमंत्री ने सम्बन्धित विभागों को पूर्णकालिक जिम्मेदार अधिकारियों की तैनाती पर भी ध्यान देने को कहा, ताकि कुंभ के कार्यों के प्रति कोई शिकायत न हो तथा कार्यों में तेजी आ सके।
बैठक में मेलाधिकारी दीपक रावत ने व्यापक प्रस्तुतीकरण के माध्यम से कुंभ क्षेत्र में किये जा रहे निर्माण कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कुंभ मेले के आयोजन से सम्बन्धित अबतक 16 बैठके आयोजित की जा चुकी है। लोक निर्माण, सिंचाई, पेयजल निगम, जल संस्थान आदि 15 प्रमुख विभागों को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित हाई इम्पॉवर्ड समिति द्वारा 135 कार्यों के लागत की रूपये 68302.80 लाख की धनराशि अनुमोदित की गई हैं। उन्होंने बताया कि आगामी कुंभ मेले के लिये 1454.41 हेक्टियर भूमि चयन की प्रक्रिया गतिमान है, जबकि 2010 के कुंभ मेले में 630.832 हेक्टियर भूमि उपयोग में लायी गई थी। बैठक में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार नरेन्द्र सिंह, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, प्रमुख सचिव आनन्द वर्द्धन, सचिव डॉ. भूपेन्द्र कौर औलख, अमित नेगी, नितेश झा, शैलेश बगोली, राधिका झा, दिलीप जावलकर, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रामन, पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अशोक कुमार सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।