नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच निशंक पहुंचे दिल्ली से देहरादून जोलीग्रांट एयरपोर्ट निशंक की चुप्पी ने तमाम आशंकाओं को दिया जन्म।
डोईवाला पूजन अग्रवाल।
युद्ध के आपातकाल के बीच दशरथ के रथ को अपनी उंगली से थामकर किनारे लेकर जाने वाली कैकेयी को दिए गए वरदान को जब मांगने का समय आया तो राजपाट की गद्दी को सुरक्षित करने के लिए राम को वनवास भेजने की तैयारी भारी मन से करनी ही पड़ी थी। उत्तराखंड की राजनीति में को रही खुसर फुसर और एक कार्यकाल में दो मुख्यमंत्री देने की परंपरा का सरकारों को भारी मोल चुकाना पड़ा है, खैर कैकेई जैसी रानियो की संख्या भले ही बढ़ गई हो, भरत जैसे खड़ाऊ वाले भाई तो पैदा होने ही बंद हो गए है,
उत्तराखंड की राजनीति में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच राजनीति के धुरंधर माने जाने वाले भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री ओर उत्तराखन्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक आज बिना किसी तामझाम के जौली ग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे और प्राइवेट नंबर की गाड़ी से बिना कार्यकर्ताओं के तामझाम के देहरादून के लिए रवाना हो गए ।
हमेशा मीडिया के साथ खुलकर बात करने वाले रमेश पोखरियाल निशंक आज उत्तराखंड नेतृत्व परिवर्तन पर तो दूर की बात कुछ भी बोलने से बचते दिखाई दिए।
अब रमेश पोखरियाल निशंक की चुप्पी उत्तराखंड में एक नई कहानी की ओर इशारा करती नजर आ रही है, दरअसल कुछ न बोलने में बोलने से ज्यादा सनसनी बनी रहती है। बंद मुठ्टी लाख की और खुल जाय तो खाक की वाली कहवात चरितार्थ हो रही है।