फुँकनी से नही होगी शरबियोंकी जांच।
कॅरोना वायरस से चलते सुरक्षा जागरूकता की बात ही सही पोलिस के इस निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिये, देर से ही सही एक सही निर्णय तो लिया गया है।
गिरीश गैरोला
दरअसल सड़क दुर्घटनाओ में उच्चतम न्यायालय की चिंता के बाद जो डेटा सरकार द्वारा दिये गए उसमें ज्यादातर सड़क दुर्घटनाओं के लिए शराब के नशे को जिम्मेदार बताया गया था , फिर क्या था पुलिस अल्को मीटर को वाहन चालकों के मुंह मे ठूस कर उसमें जबरन फूंक मार कर अल्कोहल का प्रतिसत निकालकर चालान करती थी, जिसमे 30 से अधिक यूनिट अल्कोहल मिलने पर चालान कर दिया जाता था, सबसे ज्यादा शिकायत एल्कोमीटर नाम की इस फुँकनी के प्रयोग को लेकर थी।
अस्पताल में भी शरीर मे बुखार नापने के लिए थर्मामीटर मुह में डाला जाता है तो हर बार उसे तरीके से साफ कर ही किसी अन्य के मुंह मे डाला जाता है जबकि चौराहों।पर पुलिस कर्मियों के पास महज दो या तीन एल्कोमीटर से ही पूरी सड़क पर मौजूद चालको के मुंह मे डाला जाता रहा है जो पहले से ही गलत था। इसके प्रयोग से गंभीर बीमारियों का संक्रमण ही रहा था।
जानकारों की माने तो यह फुँकनी वैसे भी व्यवहारिक नही है, शराब के नशे का बहाना कर या शरीर मे ताकत न होने का ढोंग कर चालक जब तक जोर से फूंक नही मरता या एल्कोमीटर रिडिंग ही नही देता ।चलो कॅरोना वायरस के डर से ही सही एक अब्यवहारिक निर्णय से बैक फुट पर तो आयी पुलिस ।