भागीरथी नदी में युवती के तैरते शव की सुचना से नगर में फैली सनसनी।
जांच के बाद पुराने शव के रूप में हुई पहिचान।
पोस्टमार्टम के बाद शव को दी गयी थी जल समाधि।
बार बार इस तरह के शव मिलने की घटनाओं से परेसान है पुलिस।
गिरीश गैरोला।
उत्तरकाशी नगर से बहती गंगा -भागीरथी में महिला के तैरते शव की सूचना पर गंगोत्री राजमार्ग पर ताम्बाखानी के पास सड़क पर तमासबीनो ने वाहन आड़े तिरछे खड़े कर जाम के हालात पैदा कर दिए। मौके पर एसडीआरएफ को बुलाया गया। और नदी में उतर कर जल पुलिस के जवानों ने शव को बरामद किया तो मालूम हुआ कि ये वही शव है जिसे कल पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा गया था।
बताते चले कि सोमवार को गंगोत्री राजमार्ग पर कुज्जन के पास एक टेम्पो ट्रेवलर खाई में गिर गया था जिसमे 14 लोगो की मौत हो गयी थी।
परसम्पराओ के अनुरूप हिंदुओ में अविवाहित यूआओ को दाह संस्कार नही किया जाता बल्कि उन्हें जल समाधि देने की परंपरा है। यह पहली बार नही है जब नदी में पूर्व में पोस्टमार्टम के बाद तैरते शव कौतूहल का विषय बन जाते है।
कोतवाली प्रभारी महादेव उनियाल की माने तो इस परंपरा के चलते मरने के बाद बार बार शव की भी फजीहत होती है, साथ ही पुलिस और बचाव दल एसडीआरएफ का भी कीमती समय बर्बाद होता है और सड़क पर ट्रैफिक जाम लग जाता है।
उन्होंने बताया कि पूरी समाज और साधु सन्यासी भी मरने के बाद सभी शवो को जल समाधि देते है । कई बार कुत्ते और अन्य जानवर इन शवो को फिर से बाहर निकाल लेते है और कई बार खुद ये शव ऊपर उठकर नदी में तैरने लगगते है। ऐसी स्थिति में बिना शव को निकाले यह पता नही चलता कि ये पुराण ही शव है नया । लेकिन पूरी प्रक्रिया में सरकारी सिस्टम का काफी टाइम बर्बाद होता है।
अगर एनजीटी के नियमो की बात करे तो ऐसा करने से शव का भी अंतिम संस्कार के बाद भी बार बार अनादर होता है और गंगा भी प्रदूषित होती है। उन्होंने गणमान्य लोगों से गंगा की स्वच्छता के लिए इस विषय पर जागरूकता फैलाने की अपील की है।