कोरोना महामारी के बीच तात्कालिक रूप से प्राथमिकता इस बात की है कि घरों में बंद आम लोगों के साथ किसानों को भी पेट की भूख मिटाने का साधन मिल सके। साथी ही खेतों में खराब हो रही उनकी फसल को उचित दाम मिल सके। ऐसे में कृषि मंत्रालय मीटिंग के दौर में वैज्ञानिकों से विचार-विमर्श तक सीमित है वही धरती से जुड़े आम लोगों ने इसका रास्ता निकाल लिया है।
गिरीश गैरोला
वैश्विक आपदा कोरोना से निपटने के लिए हर कोई कुछ ना कुछ प्रयास अवश्य कर रहा है वहीं आपदा प्रबंधन जन मंच उत्तरकाशी के सहयोगी संगठन जाड़ी संस्थान, रिलायंस फाउंडेशन, रेणुका समिति, भुनेश्वरी महिला आश्रम द्वारा भी समाज में निरंतर जागरूकता , जरूरतमंदों को राशन , के बाद खेतो में तैयार किसानों की फसल को उपभोक्ताओं तक पहुँच मार्ग बनाकर न सिर्फ कास्तकारों बको राहत दी है बल्कि लॉक डाउन के दौरान उपभोक्ताओं को उनके दरवाजे पर पौष्टिक आहार उच्च गुणवत्ता के साथ पहुंचाने का काम किया है।
इस क्रम मैं इन सहयोगी संगठनों द्वारा एक अभिनव प्रयोग किया गया, जिसमे गांव मै रबी के सीजन में तैयार मटर को बाजार के साथ जोड़ा गया ताकि उपभोक्ताओं को ताजी सब्जी की उपलब्धता हो और साथ ही किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य प्राप्त हो सके।
एक गांव से सुरु हुए इस प्रयोग में आज उत्तरकाशी जिले के डूंडा ब्लॉक के 10 गांव के लगभग 40 किसान जुड़ चुके हैं और लगभग 35 कुंतल मटर की बिक्री से किसानों को लगभग 115000 की धनराशि दी जा चुकी है। किसानों ने बताया कि इस करोना कि इस मुसीबत के समय ये धनराशि उनके लिए बहुत मददगार साबित होगी।
संगठन के अध्यक्ष द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने बताया कि अभी हम इस प्रयास को तब तक जारी रखेंगे जब तक किसानों की समस्त बाजार योग्य फसल की बिक्री ना हो जाए।
इस प्रयास मैं रेणुका समिति के संदीप उन्याल, रिलायंस फाउंडेशन के कमलेश गुरुरानी, jaadi समिति के द्वारिका सेमवाल, राखी राणा, रमेश चमोली , पालीवाल मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। संदीप उनियाल ने इस प्रयास मै जिला प्रशासन के सहयोग के लिए भी धन्यवाद दिया।