ऐसा एंबुलेंस चालक जो मैकेनिक भी हो और डॉक्टर भी , देखा है? हम दिखाते है।

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लौक डाउन के दौरान लोगों को घरों में रोके रखने के लिए सभी जिलों में राशन की उपलब्धता बनाए रखना और गंभीर बीमार अथवा घायलों को हायर सेंटर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस को चुस्त-दुरुस्त रखना प्रशासन की प्राथमिकता में इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सड़क पर कोई निजी वाहन नहीं चल रहे हैं।

https://youtu.be/2SGPSfnR3XM

अगर बात करें उत्तरकाशी जिले की तो विगत 2 सप्ताह से धरासू एंड के पास गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहाड़ी से गिर रहे मलबे के चलते राजमार्ग बंद पड़ा हुआ है हालांकि जिला प्रशासन ने आवश्यक राशन के यातायात के लिए नदी के ऊपर मिट्टी डालकर वैकल्पिक मार्ग तैयार किया है मुख्य मार्ग खोलने में कितना समय लगेगा इसके बारे में अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है ।

गिरीश गैरोला।


इतना ही नहीं पहाड़ों में रैफर सेंटर बने अस्पतालों से क्रिटिकल मरीजों को हायर सेंटर ले जाने वाली एंबुलेंस को न सिर्फ खस्ताहाल सड़कों की से जूझना पड़ रहा है बल्कि एंबुलेंस चालक को वाहन चलाने के साथ-साथ मेडिकल अटेंडेंट का काम भी करना पड़ रहा है ।
दरअसल गंभीर बीमार व्यक्ति को हायर सेंटर भेजते समय उसके साथ कोई मेडिकल सहायक न भेज कर उसे सिर्फ एंबुलेंस चालक के भरोसे ही छोड़ दिया जा रहा है और यह स्थिति आजकल लॉक डाउन के समय ही नहीं बल्कि बहुत पहले से भी चली आ रही है ।ऐसी स्थिति में बीमार व्यक्ति को चढ़ाई जाने वाली ड्रिप रुक जाए अथवा ऑक्सीजन सप्लाई में दिक्कत हो जाए अथवा वाहन में कोई तकनीकी कमी आ जाए तो उसे हर हाल में वाहन चालक को ही झेलना होगा ।

मरीज को हायर सेंटर ले जाते समय एक एंबुलेंस चालक मुकेश ने जब हमें यह समस्या बता ई तो उसके बाद यमुनोत्री की विधायक केदार सिंह रावत से हमने सीधी बात की जानिए उन्होंने क्या आश्वासन दिया वीडियो लिंक देखें

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