उत्तराखंड: फ्रन्टलाइन कोरोना वारियर्स आयुष डॉक्टर्स के साथ हो रहा भेदभाव।
कोरोना वॉरियर्स के रूप में जंग के मैदान में डटे डॉक्टर्स , पुलिस और सफाई कर्मी समाज से मिले प्रेम और सम्मान के बाद बिना थके बिना रुके अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं, बिना यह सोचे कि किसका काम बड़ा किसका छोटा । ऐसे में धरती के ब्रह्मा जी अगर भगवानों का वर्गीकरण कर इन्हें छोटे – बड़े की श्रेणी में बांटना शुरू कर दें तो इनके आत्मसम्मान को तो चोट लगेगी साथ इनके कार्य करने की क्षमता में भी असर आना लाजमी है।
गिरीश गैरोला
प्रदेश के कई आयुष डॉक्टरों से प्राप्त जानकारी एवं शिकायतों के आधार पर राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखण्ड (पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ० डी० सी० पसबोला द्वारा बताया गया कि जहां एलोपैथिक डॉक्टर्स एवं कर्मचारियों को 14 दिन की ड्यूटी के बाद कोविड जांच कर 14 दिन के लिए होम क्वरंनटाइन किया जा रहा है, वहीं 30-35 दिनों से लगातार महीनों कार्य कर रहे आयुष डॉक्टर्स एवं कर्मचारियों को आराम नहीं दिया जा रहा है, और जिन दो चार को 30-35 दिनों के बाद कार्यमुक्त भी किया जा रहा है तो उन्हें बिना कोविड जांच किए ही होम क्वरंनटाइन किया जा रहा है, वो भी केवल 7 दिनों ही के लिए।
इस प्रकार से आईसीएमआर (ICMR) द्वारा होम क्वरंनटाइन के लिए निर्देशित गाइडलाइंस का पालन केवल स्वास्थ्य विभाग के ही डॉक्टर्स एवं कर्मचारियों के लिए ही किया जा रहा है, जबकी आयुष विभाग के डॉक्टर्स एवं कर्मचारियों के साथ इस सम्बन्ध में भेदभाव पूर्ण और सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। जिस पर आयुष डॉक्टर्स एवं कर्मचारियों ने नाराजगी जतायी है। इस प्रकार से राज्य में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
जबकि सरकार ने आयुष डॉक्टर्स एवं कर्मचारियों की ड्यूटी हाट स्पाट एरिया में सर्विलांस के अलावा फैसिलिटी क्वरंनटाइन और स्क्रीनिंग में लगायी है।
साथ ही आयुष डॉक्टर्स के आरोप हैं कि उन्हें पीपीई किट से सहित सुरक्षा उपकरण तक उपलब्ध नहीं करवाये जा रहे हैं। इस वक्त आयुष डॉक्टर्स एवं कर्मचारी हर जिले में सीएमओ के अधीन हैं, इसलिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा ही उन्हें सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
इसके अतिरिक्त 17 मार्च से 40 दिनों से लगातार कार्य कर रहे आयुष डॉक्टर्स एवं कर्मचारियों को कार्यमुक्त कर उनके स्थान पर एलोपैथिक डॉक्टर्स(विशेष रूप से नवनियुक्त 450 एमबीबीएस डॉक्टर्स एवं एमबीबीएस के सापेक्ष रिक्त 250 पदों पर नियुक्त बीडीएस डॉक्टर्स) एवं कर्मचारियों की नियुक्ति की मांग की गयी है। क्यूंकि बिना आराम के लगातार 35-40 दिन कार्य करने से आयुष डॉक्टर्स एवं कर्मचारियाें के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव तो पड़ ही रहा है साथ ही लगातार संक्रमित क्षेत्र में कार्य करने से कोरोना संक्रमित होने का रिस्क भी बढ़ता ही जा रहा है एवं कई आयुष डॉक्टर्स एवं कर्मचारी अस्वस्थ भी होते जा रहे हैं। इसलिए ड्यूटी में एलोपैथिक डॉक्टर्स एवं कर्मचारियाें को भी बहुतायत में शामिल किया जाना चाहिए, जिससे कि ड्यूटी रोटेशन बना रहे और आयुष डॉक्टर्स एवं कर्मचारी 35-40 दिन बाद कोविड जांच के बाद अपनी घर वापसी कर सकें और 14 दिन होम क्वरंनटाइन रह सकें।
राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखण्ड के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ० अजय चमोला द्वारा बताया गया कि राज्य में आयुष डॉक्टर्स एवं कर्मचारियों के साथ पेश आ रही समस्याओं के बारे में आयुष सचिव को भी अवगत करा दिया गया है।