5 दिन आफिस से बाहर जिला पंचायत उपाध्यक्ष:#मेरुरैबार

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5 दिन आफिस से बाहर भटकते रहे जिला पंचायत उपाध्यक्ष।
किसने किया उपाध्यक्ष का कमरा लॉक?
शिकायत मिलने पर डीएम ने सीडीओ को दिए जांच के बाद कार्यवाही के निर्देश।
गिरीश गैरोला
उत्तरकाशी जिला पंचायत में सदस्यों की आपसी गुटबाजी का परिणाम अब पूरे जिले को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश के 12 जनपदो में जिला योजना स्वीकृत हो चुकी है जबकि अकेले उत्तरकाशी में ये अभी भी बैठक न होने के चलते लंबित पड़ी है। गुटबाजी का आलम ये है कि अपर मुख्य अधिकारी कबुल चंद 9 अकटुबर से मेडिकल लीव पर चले गए है, कार्य अधिकारी हिमांशु कफलटिया और जूनियर इंजीनियर  वीरेंद्र गुसाईं पहले ही अपना ट्रांसफर करवा चुके है,जिले में स्वीकृत 4 जूनियर इंजीनियर के कार्य को संविदा पर रखे कर्मचारी निभा रहे है। ये तो रही कर्मचारियों और अधिकारियों की बात मामला इतना ही नही थमा अब जिला पंचायत सदस्य भी आपस मे इतने भिड़ चुके है कि कब किधर से वॉर प्रतिवार हो जाय कहा नही जा सकता।
ताजा मामले में जिला पंचायत उपाध्यक्ष के आवंटित कक्ष को लॉक करने का मामला खूब सुर्खियां बटोर रहा है।

जिला पंचायत उपाध्यक्ष प्रकाश रमोला ने डीएम आशीष कुमार चौहान को पत्र लिखकर जानकारी दी कि जिला पंचायत भवन विकास भवन उत्तरकाशी में बतौर जिला पंचायत उपाध्यक्ष आवंटित कक्ष को अनाधिकार चेष्टा के तहत बंद कर दिया गया है। जबकि  भवन निर्म्मा्मा के समय से ही ड्राइंग में भी उपाध्यक्ष को  कक्ष आवंटित किया गया था।

डीएम उत्तरकाशी dr आशीष चौहान ने बताया कि मामला 15 अकटुबर के आसपास उनके संज्ञान में लाया गया था जिस पर उन्होंने सीडीओ को उक्त मामले को मार्क करते हुए कार्यवाही के लिए लिख दिया था।
सुत्रो की माने तो 5 दिन बाद जिला पंचायत भवन में उपाध्यक्ष के कक्ष का लोक भले ही अब खोल दिया गया है किंतु उपाध्यक्ष प्रकाश रामोल इससे संतुष्ट नही है उन्होंने इस कार्य के लिए संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है ताकि भविष्य में इस तरह की  घटना की पुनरावृत्ति न हो सके।
इस संबंध में अध्यक्ष जिला पंचायत जशोदा राणा ने बताया कि उपाध्यक्ष प्रकाश रामोल चुनाव जीतने के बाद मुस्किल के एक या दो बार ही कार्यलय में आये है उनके गैर मौजूदगी में कमरा बंद रहना स्वाभाविक बात है और चौकीदार का काम है कि जो पदाधिकारी मौजूद न हो उसके कक्ष को बंद रखा जाय, यदि कक्ष से कोई सामान हटाया गया अथवा गायब हुआ है तो इसकी प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज  की जा सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पालिका चुनाव लड़ने की सुगबुगाहट के बाद कुछ लोग बौखला गए है और नित्य नई बातें उनसे जोड़ी जा रही है। जबकि इस मामले में इनका कोई रोल नही है।
इस संबंध में सीडीओ प्रशांत आर्य से संपर्क दूरभाष पर भी नही हो सका कि आखिर उनकी जांच में क्या तथ्य पाए गए और किस तरह से कमरा खोल  दिया गया है।
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