कोर्ट के आदेश के बाद झील में पसरा सन्नाटा

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जल क्रीड़ा समेत अन्य गतिविधियों पर रोक।
कोर्ट के आदेश के बाद झील में पसरा सन्नाटा।
सैकड़ो लोगो को रोजी रोटी की चिंता,

जल क्रीड़ा समेत नदी के पास अन्य साहसिक गतिविधियों कैम्पिंग आदि पर हाई कोर्ट की रोक के बाद उत्तराखंड में पर्यटन को खास झटका लगा है। गंगा और सहायक नदियों पर बांध बनने के दौरान बड़ी तादाद में प्रभावितों ने समस्या झेली और सैकड़ो गाँव विस्थापित भी हो गए। दर्जनों गांवों के संपर्क मार्ग झील में दफन ही गए थे। अब जब इसी झील अथवा नदी से लोगो को साहसिक पर्यटन के रूप में रोजगार मिलने की उम्मीद हुई तो हाई कोर्ट की रोक ने सैकड़ो पर्यटन व्यवसायियों के रोजगार पर संकट खड़ा हो गया है । झील के किनारे किनारे आजीविका चला रहे लोग अब अपनी जीविका को लेकर शंकित है।टिहरी झील में बोटिंग पर्यटन व्यवसायियों की माने तो 50 बोट से जुड़े करीब 300 लोग बेरोजगार हो गए है। स्कूली छुट्टी का यह पीक सीजन है जिसमे पर्यटकों की भीड़ उमडती है और इसी हफ्ते की कमाई से बैंक की क़िस्त, कर्मचारियों की वेतन ,और टाडा का वार्षिक टैक्स भी निकलता है। अचानक आये कोर्ट के निर्णय के बाद यहाँ वीकेंड मना रहे टूरिस्ट भी हैरान है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार द्वारा बनाई गई नीति को ही वर्तमान सरकार ने से संस्तुति दी थी और बोट संचालक भी उन्ही नीतियों का पालन कर रहे थे। जाहिर है कि उनके पक्ष को ठीक तरीके से कोर्ट के सामने नही लाया गया । जल क्रीड़ा के लिए जरूरी दस्तावेजों में इंसुरेंस, लाइसेंस, पॉल्यूशन और टाडा का सर्टिफिकेट सभी प्रक्रिया पूर्ण करने के बावजूद उन पर कोर्ट के आदेश की तलवार लटक गई है उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार जल्दी से अपना पक्ष कोर्ट के समक्ष रखेगी ।क्योंकि बैंक से कर्ज लेकर इसमें रोजगार कर रहे लोग अब अपनी रोजी रोटी को लेकर चिंतित है।
गौरतलब है कि शनिवार और रविवार की वीकेंड को देखते हुए बड़ी तादाद में पर्यटक दूर दूर से टिहरी झील में जल क्रीडा के लिए पहुचे थे किंतु पॉइंट बन्द होने से लोग निराश हुए है।

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