लॉक-डाउन व कोरोना संक्रमण के चलते प्रसिद्ध नीलकंठ मन्दिर हुआ बन्द, वाहन चालकों के सामने पैदा हुआ रोजीरोटी का संकट।
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते जहां पूरा देश लॉक-डाउन की स्थिति से गुजर रहा है, वही उक्त लॉक-डाउन की मार परिवहन कामगार लोगों पर भी पड़ रही है, जिनके आगे रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।
विभिन्न राज्यों के शिव भक्तों के आस्था का केंद्र तीर्थनगरी ऋषिकेश से सटे मणिकूट पर्वत पर पंकजा व मधुमती के जल स्रोत पर स्थापित भगवान भोले के नीलकंठ महादेव मन्दिर में श्रावण मास के दौरान लाखों शिवभक्त कांवड़ व गंगा जल लेकर पहुंचते है लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर नीलकंठ महादेव मंदिर को कुछ समय के लिए पूर्ण रूप से बन्द कर दिया गया है, जिसके चलते जहां पैदल मार्ग पर सन्नाटा पसरा हुआ है वही स्वर्गाश्रम से नीलकंठ महादेव मंदिर पहुँचने वाला मोटर मार्ग पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है, जबकि उक्त मार्ग पर लगभग पाँच सौ वाहन नीलकंठ महादेव मंदिर तक शिवभक्तों को पहुंचाने का काम करते है लेकिन मन्दिर बन्द होने व लॉक-डाउन की वजह से उक्त सभी वाहन अपनी पार्किंगों में मार्च माह से ही खड़े है, वही वाहन मालिकों व चालकों को श्रावण मास के दौरान भरपूर रोजगार मिल जाता था लेकिन मन्दिर बन्द होने के चलते वाहन मालिकों व चालकों से सामने रोजीरोटी का संकट उत्पन्न हो गया है।
वाहन चालक रामचंद्र मण्डल ने बताया कि वह प्रतिवर्ष श्रावण मास की प्रतीक्षा में रहते है की उनका रोजगार चलेगा लेकिन मन्दिर बन्द होने के कारण उनके वाहन पर्किंगों में बीते चार माह से खड़े है जिससे उनके सामने रोजीरोटी का संकट पैदा हो गया है, उनके आगे बैंकों की क़िस्त, इंशोरेंस, व वाहन टैक्स अदा करने की समस्या पैदा हो गई है, उन्होंने सरकार से मांग करी की उनकी समस्या को देखते हुए वाहन टैक्स, इंशोरेंस, किस्तें व ब्याज माफ की जाये, वही जब से वाहन खड़े है तब से कोरोना काल तक उनका टैक्स, इंश्योरेंस माफ किया तथा बीमा की तिथि भी बढ़ाई जाये।
वही वाहन चालक हरिश्चंद्र राजभर ने कहा कि श्रावण मास में बड़ी संख्या में शिवभक्त यहाँ आते है लेकिन लॉक-डाउन व मन्दिर बन्द होने के कारण कोई नही आया है जिससे सभी वाहन पर्किंगों में खड़े है वाहन मालिकों व चालकों के आगे रोजीरोटी की समस्या पैदा हो गई है, वही बैंकों की किस्तें निकलना भी मुश्किल हो गया, जबकि श्रावण माह में उक्त वाहन चलते है जिससे बैंकों की किस्तें व घर का खर्च निकल जाता था लेकिन वह भी इस बार नही हो पाया है, जिसपर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
