नमामि गंगे योजना ने ऐसे ढकी गंगा की लाज ।
पांच करोड़ से प्रदूषण ढकने का असफल प्रयास।
।गिरीश गैरोला।
गंगा में सफाई हो अथवा नही, गंगा में प्रदूषण घटे अथवा नही किन्तु गंगा को बचाने के बड़े बड़े बोर्ड अक्सर हम सड़क किनारे खड़े दिख ही जाते है। किंतु गंगा स्ववच्छता संदेश
के साथ इसकी सूचना देने वाले बोर्ड की लोक लाज से बचाने के लिए किस तरह से नमामि गंगे योजना प्रकट हुई आपको दिखाते है।
उत्तरकाशी नगर में गंगा कार्यकारी योजना का सूचना पट पर जो कुछ लिखा है वो सब हुआ या नही ये बाद की बात है पर इस सूचना पट की लोक लज्जा बचाने के लिए नमामि गंगे योजना के सूचना पट को ठीक उसी तर्ज पर उतारा गया जैसे महाभारत में श्री कृष्ण , द्रोपदी की लाज बचाने को प्रकट होते है। दरअसल ये पुराना बोर्ड बिल्कुल द्रोपदी के चीर की तरह अपनी लाज ढकते हुए दिखाई दे रहा है।
उत्तरकाशी कलेक्ट्रेट गेट के पास नमामि गंगे का ये दूसरा बोर्ड पहले की इज्जत को तार तार होने से रोकने का प्रयास करते हुए दिखाई दे रहा है। चार करोड़ 85 लाख की योजना वाले इस सूचना पट्ट पर आपदा के बाद ध्वस्त हुए सीवरेज सिस्टम के पुनरोद्धार किये जाने की सूचना अंकित है जो 15 अप्रैल 2017 को पूरी हो गयी है।
सूचना के अंत मे बड़े अक्षरो में गंगा को अविरल बहने दो गंगा को निर्मल रहने दो की लाइन लगी है।
मानो ये कहने का प्रयास कर रही हो कि जो कुछ हो रहा है उसे होने दो और जो चल रहा है उसे चलने दो।
अब गंगा के उदगम गंगोत्री धाम में ही मरम्मत के नाम पर रातों रात खड़े हो रहे आश्रम नुमा सुख सुविधा सम्पन्न होटल और गंगा में मिल रहा इनका सीवर पर पितामह भीष्म भी अपनी आंखें मूंदे बैठे है, अब भीष्म की मजबरी को सत्ता से जुड़े उनकी प्रतिज्ञा से जोड़कर देखा जा सकता है पर श्री 5 के पांच पांडु पुत्रो के वंसज क्यों चुप है?, क्यों इस वीरवाल कि खिचड़ी को लम्वे समय से बेस्वाद करने में लगे है ? पांडु पुत्र पांच गाँव लेकर संतुष्ट हो गए या सत्य वादिता भूल गए आज की युधिष्टर ? या अर्जुन को गांडीव उठाने से रोक रही माता कुंती। या भीम की बाजुओं का बल कम पड़ गया जो मदद के लिए पड़ोसी राज्योंकि तरफ बार बार देख रहा है।
https://youtu.be/rVDuINALOfQ
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कब कब तक श्रीकृष्ण दुःशासन की कुदृष्टि से द्रोपदी का चीर बढ़ाते रहेंगे।