देहरादून। नैसकॉम सीओई-आईओटी-ऐआई द्वारा एक वेबिनार लुकिंग एट दा पान्डेमिक थ्रू जेंडर लेंस- हाउ टू क्रिएट आ कम्युनिटी एंड ड्राइव इन्क्लूसन का आयोजन किया गया जिसमें महिला उद्यमियों ने की जेंडर रिलेटेड मुद्दों पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार, लेखिका व कमेंटेटर नम्रता कोहली ने किया। कार्यक्रम में कंचन भोंडे प्रोडक्ट स्ट्रेटेजी हेड, मेकर्स लैब, टेक महिंद्राय स्क्वाड्रन लीडर व सीईओ ईवोलेट प्रेरणा चतुर्वेदी, डॉ अनुपमा मल्लिक , सीईओ एम डी विजारा टेक्नोलॉजीजय लुबना युसूफ ऑथर , फाउंडर ला लीगल , फिशरआईबॉक्स व मेंटर ऑफ चेंज एआईएम निति आयोग य आरती धीमान , चीफ टेक जून्की – एवंजलिस्ट , जेस्चर रिसर्च इंटरनेशनल व रूचि तुषीर , डायरेक्टर दृ डाटा , आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस -बिजनेस ग्रुप माइक्रोसॉफ्ट ने अपने विचार रखे। वेबिनार के सभी वक्ताओं ने महिलाएं एक-दूसरे को कैसे प्रोत्साहित कर सकती हैं पर चर्चा की। प्रेरणा चतुर्वेदी ने अपने व्यक्तव में महिलाओं को किन किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है पर चर्चा करते हुए कहा की महिला कुछ भी काम शुरू करना चाहे तो सबसे पहले उसकी योग्यता पर प्रश्न चिन्ह लगाया जाता है. उन्होंने कहा कोई भी बिजनेस यह नहीं जानता कि कौन इसे चला रहा है. हम यह भी कह सकते हैं की पैसा नहीं जानता कि इसका उपयोग कौन कर रहा है. य जो भी उस पैसे का उपयोग कर रहा है, वह आपको बिजनेस करने के लिए सशक्त बनाता है, वह किसी पुरुष या महिला को नहीं देखता है, वह देने की क्षमता और क्षमताओं को उस माध्यम से चलाने में सक्षम दिखता है।चर्चा को शुरू करते हुए कंचन भोंडे ने कहा की नैसकॉम 2018य रघुराम मज ंस 2017 के अनुसार आईटी वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी भारत में 34ः है जो कि ई-कॉमर्स (67.7ः) और खुदरा (52ः) के बाद देश के सभी गैर-कृषि क्षेत्रों में सबसे अधिक है। विडंबना यह है कि प्रवेश स्तर की 51 प्रतिशत से अधिक भर्ती महिलाओं की हैं, 25 प्रतिशत से अधिक महिलाएं प्रबंधकीय पदों पर हैं लेकिन 1 प्रतिशत से कम शीर्ष स्तर में हैं। अधिक महिलाएं सॉफ्टवेयर टेस्टिंग जॉब्स में हैं (34रू66 पुरुष-महिला अनुपात के रूप में) जो कि हार्डकोर प्रोग्रामिंग भूमिकाओं (75रू25 के रूप में पुरुष-महिला राशन) की तुलना में कम मांगी जाती हैं।