श्री श्री रविशंकर पर सरकार के दबाव में स्वामी आत्मबोधानंद का विमल भाई ने अनशन तोड़ने का लगाया आरोप।
26 साल के युवा संत आत्मबोधानंद 24 अक्टूबर, 2018 से उपवास पर हैं।
अंकित तिवारी
गंगा किनारे को गंदा करने पर जिन पर पांच करोड़ का जुर्माना लगा था, जो उन्होंने अभी तक चुकाया नही।
कहने को तो साधु मगर सरकार से पदम श्री का पुरस्कार लेते हैं, यानी ईश्वर से बड़ी सरकार को
मानने वाले रविशंकर जी मातृसदन आश्रम आए।
मंदिर मस्जिद का दो धर्मों के करोड़ों अनुयायियों के आस्था से जुड़े मंदिर मस्जिद विवाद को सुलझाने की जिम्मेदारी लेकर बैठे रविशंकरजी मात्र कुछ ठेकेदारों के फायदे वाले बांधो पर, गंगा की अविरलता के लिए सरकार से बात नहीं कर सकते ?
बड़ी मजेदार बात है। ????????????
बिल्कुल किसी सरकारी अधिकारी की तरह बात कर रहे थे। पुरुस्कार लेने के बाद उनकी ये स्थिति हो गई।????????????
हम लोग गंगा के लिए हैं और सब अपनी तरह से अपने अपने क्षेत्रों में गंगा के मुद्दे पर काम करते हैं।कोई लेखन से, कोई भावना से, कोई बांध प्रभावित क्षेत्र में तथा अन्य तरीकों से।
सानंद जी ने भी जीवन के अंतिम समय में गंगा को ही सब कुछ मानते हुए अपने जीवन उत्सर्ग किया।
ऐसे ही हम सबके बीच आज 26 साल के युवा संत आत्मबोधानंद 24 अक्टूबर, 2018 से उपवास पर हैं।
हम उनके उपवास से सहमत हो या ना हो मगर जैसे हम गंगा के लिए अपनी तरह से काम कर रहे हैं।
ऐसे ही यह युवा संत, सानंद जी की तपस्या को स्वीकार करके आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा भी था कि मैं साधु हू, धरना प्रदर्शन नहीं करता। नारे नहीं देता मैं तपस्या कर सकता हूं जो मैं कर रहा हूं।
इस तरह संत आत्मबोधानंद ने अपनी भूमिका कई बार स्पष्ट की है। इसलिए हम उस पर कोई चर्चा नही करे। उनके उपवास का आज 169वां दिन है।
गंगा की अविरल निर्मलता पर हम सब ने 20 जनवरी को एक संकल्प स्वीकार किया है। हम सब उसके लिए काम कर ही रहे है। यही संत आत्मबोधानंद के उपवास समाप्ति के लिए सहायक है।
हम संत आत्मबोधानंद का बहुत आदर करतेे है और उनकी तपस्या का सम्मान करते है।
मैं मानता हूं कि हम अपनी तरह से काम करते हुए एक दूसरे का साथ देते हुए अविरल निर्मल गंगा के लिए बढ़ते जाएं।
मुझे पूरा विश्वास है कि हम सभी के प्रयासों से गंगा संकल्प पूरा होगा। उनका उपवास भी अपने आप समाप्त होगा।