कसाब नही ,कलाम तैयार करे मदरसे

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देशभर के मदरसों का आधुनिकीकरण कर उनमे और बेहतर और बैज्ञानिक शिक्षा दी जानी चाहिए जिसके बाद मदरसों से शिक्षा ग्रहण कर एपीजे अब्दुल कलाम आजाद जैसे शख्सियत तैयार हो सके ताकि बेहतर  तालीम के अभाव में भटक कर नौजवान कसाब की राह पर न चल सके।

अंकित तिवारी

मुरादाबाद:- आज दिनांक 15 अप्रैल 2019 मदरसा टीचर यूनियन के तत्वधान में राष्ट्र के निर्माण में मदरसों का योगदान व मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के समाधान को लेकर एक कॉन्फ्रेंस शाह बुलाकी साहब बेन्केट हाल में की गयी जिसका संचालन मो. मज़ाहिर खान साहब ने किया सदारत हज़रत अल्लामा मौलाना फजलुर रहमान अफजल उल कादरी साहब ने की महाने खुसूसी माननीय इन्द्रेश कुमार जी व विशिष्ट अतिथि डॉ. शहीद अख्तर साहब सदस्य शामिल रहे कांफ्रेन्स को संबोधित करते हुए मेहमाने खुसूसी आलीजनाब इन्द्रेश कुमार जी ने कहा की राष्ट्र के निर्माण में मदरसों का अहम योगदान है
मुसलमानों को तालीम हासिल कर, एपीजे डॉ अबदुल कलाम जैसा बनना चाहिए विना तालीम का मुसलमान भटक कर कसाब जैसा बन जाता है,

विशिष्ट अतिथि आलीजनाब शाहिद अख्तर साहब ने अपने खिताब में कहा की मुसलमान इस वक्त तालीम से पिछड़ता जा रहा है, जोकि बेहद अफसोस नाक बात है दिन व दिन मुस्लिम तालीमी स्तर नीचे आता जा रहा है तालीम को लेकर जागरुक होने की जरूरत है, और कहा की भारत के मदरसों में आधुनिकीकरण होना बहुत जरूरी है, ताके बच्चों में दीनी तालीम के साथ दुनयावी तालीम दी जा सके ।

महमाने खुसूसी हजरत अल्लामा मौलाना अफज़ल उल कादरी साहब ने अपने खिताब में कहा की हिन्दुस्तान के मदरसों में हुब्बुल वातिनी का दर्जा दिया जाता है । वतन से मुहब्बत की तहरीक मदरसों से निकली जंगे आज़ादी में सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ मदरसों से ही फतवा निकता था मदरसे अमानो अमान भाईचारे का पैगाम डेटाब है

मदरसा टीचर यूनियन के राष्ट्रीय संयोजक अजीम उल्लाह फरीदी ने अपने खिताब में कहा की बेशक राष्ट्र के नीर्माण में मदरसों का अहम योगदान है मुसलमानों में बुनयादी तालीम मदरसों से दी जाती है मदरसे मुल्क से मुहब्बत का दर्जा दिया जाता है फिर चाहे कोई अस्फाक उल्लाह खान बने या बीर अबदुल हमीद बने या दुनीया में मुल्क एटमी ताकत से मदबूत करने वाला डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम बने 36 महीने से मदरसा खिक्षको को केन्द्र सरकार से तनुखा नही मिलने के बावजूद भी आज मदरसा खिक्षक ईमानदारी से अपना काम कर रहे हैं और बच्चों को आधुनिक शिक्षा देकर देश को उन्नत बनाने का काम कर रहे हैं दूसरी ओर खुद भूके प्यासे रहकर बलिदान दे रहे हैं।

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