महादेव गोविन्द रानाडे की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि- बाल विवाह का विरोध और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन क्रांतिकारी कदम :चिदानन्द सरस्वती

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ऋषिकेश। महाराष्ट्र के सुकरात, प्रसिद्ध विद्वान, समाज सुधारक, न्यायविद, भारतीय राष्ट्रवादी तथा भारत की महान विभूति महादेव गोविन्द रानाडे की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि अपना सम्पूर्ण जीवन सामाजिक कार्यों और नारी शिक्षा के प्रचार-प्रसार में समर्पित करने वाले महादेव गोविंद रानाडे जी ने अपने समय में बाल विवाह का घोर विरोधी किया तथा विधवा पुनर्विवाह का प्रबल समर्थन किया ताकि नारियों को गरिमामय जीवन प्राप्त हो सके, ये दोनों ही बड़े ही क्रान्तिकारी कदम हैं बाल विवाह का विरोध और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन अद्भुत दृष्टि थी उनकी। उन्होंने पूरा जीवन महिलाओं कोे आत्मनिर्भर बनाने और भावनात्मक दृष्टि से स्वतंत्र बनाने पर जोर दिया ऐसे महान व्यक्तित्व की समाजसेवा और देशभक्ति को नमन।
सिखों के सातवें गुरु, गुरू हरराय जी की जयंती भी है। वह एक महान आध्यात्मिक महापुरुष एवं कुशल योद्धा थे। शांत व्यक्तित्व के धनी गुरु हरराय साहिब जी ने गुरू हरगोविन्द सिंह साहिब जी के दल को पुनर्गठित कर उनमें नव चेतना, नये विचारों और नई ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने अपना पूरा जीवन ’अहिंसा परमो धमर्’ के लिये समर्पित किया और जीवनपर्यंत गुरू नानक देव जी द्वारा बनाये गये नियमों और सिद्धान्तों के आधार पर जीते रहे। आज इस पवन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सिख धर्म का इतिहास अत्यंत गौरवशाली और बलिदानी इतिहास रहा है। गुरु नानक द्वारा स्थापित तथा नौ महान गुरुओं का नेतृत्व प्राप्त सिख धर्म एक अद्भुत परम्परा का साक्षी है। परमात्मा केे शिष्य और अपने दस सिख गुरुओं की शिक्षाओं का पालन करने वाले सिखों के गुरू अब ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ ही एकमात्र गुरु है। जिसमें एक ओंकार, सदाचारी एवं सत्यनिष्ठ जीवन जीने की शिक्षायें, सेवा, विनम्रता और समानता जैसे जीवन के मूल सिद्धांत तथा नाम जपना, किरत करना और वंड छकना जैसे कर्तव्य और आदर्श समाहित हैं जो उन महान गुरूओं ने दिये थें स्वामी जी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी गुरूओं की कुर्बानी और उनकी वाणी याद रखें तो हमारा राष्ट्र संगठित और संस्कारित भी रहेगा।
स्वामी ने कहा कि आज पूरे देश को लंगर पद्धति, पंगत और संगत जैसी अद्भुत विधाओं की आज पूरे देश और समाज की जरूरत है। सामूहिक विचार और निर्णय करने की, गुरू वाणी, गुरू द्वारा दिखाये मार्ग व प्रकाश की जरूरत है ताकि आपस का संदेह मिटे, तमस समाप्त हों, सही मार्ग के दर्शन हों और चारों ओर एकता और समानता स्थापित हो सके। आईये आज सप्तम नानक जी की जयंती पर राष्ट्र में एकता और समानता स्थापित करने का संकल्प लें।       

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