इंटरनेशनल विंटर टूरिज्म हब औली में विंटर सेफ गेम्स के लिए इटली की स्नो स्टार कम्पनी से 6.5 करोड़ की लागत से स्नो मेकिंग मशीन खरीदी गई थी। जिसनें 2011 में टेस्टिंग के दौरान महज एक दिन इस मशीन से औली में बर्फ बनाना शुरू किया था की प्रकृति मेहरबांन हुई और औली में रिकॉर्ड हिमपात हो गया जिससे सैफ विंटर गेम्स तक जल्दी निपटा दिये गए,लेकिन अगले ही वर्ष 2012में ये करोड़ों की मशीनें बनाने में नाकाम हो गई,तब से लेकर आजतक ये मशीनें सिर्फ फोटो खिचानें और टेस्टिंग तक ही सीमित होकर रह गई है,
इसबार भी GMVN इस स्नो मेकिंग सिस्टम से बर्फ बनाने की बात कह रही है,लेकिन सवाल ये उठता है की करोड़ों की लागत से लगे इन विदेशी स्नो मेकिंग सिस्टम के समय पर फेल होने से पिछले दस सालों से यहाँ पूरे स्लोप पर कभी बर्फ नही बिछ सकी जिसका खामियाजा औली नें 4नेशनल विंटर गेम्स और 2 इंटरनेशनल FIS अल्पाईन स्की कप की मेजबानी से हाथ धोकर भुगता है, यही नही इन्ही मशीनों के काम नही करने से औली की नंदादेवी स्की स्लोप की मान्यता को इंटरनेशनल स्की फेडरेशंन ने रद्द तक कर दिया था,बावजूद इसके सरकार आज भी औली के प्रति संजीदा नही है,GMVN को दबाव में औली की इन कबाड स्नोमेकिंग सिस्टम से बर्फ बनाने का फरमान मिला हुआ है,जो अब टेस्टिंग के नाम से आज भी औली में बदस्तूर जारी है,आगे भी ये खेल जारी रहेगा जबतक यहाँ स्लोप पर नेचुरल बर्फ नही बिछ जाती तबतक,जिन कबाड़ मशीनों को ठीक करने में विदेशी इंजीनियरों नें भी यहाँ हाथ खड़े कर दिये,लाखों के खर्चे से औली बुलाये विदेशी टेक्नीशियन भी नही कर पाए आज तक इनकी मरम्मत,तब इटली से खरीदी गई इस स्नो मेकिंग सिस्टम के खराब होने की सूचना पर्यटन विभाग ने निर्माण कंपनी को वर्ष 2012 में ही दी गई थी। आस्ट्रेलिया और स्पेन स्वीडन से इंजीनियर भी लगातार औली आए थे। उन्होंने स्नो मेकिंग मशीन के लिए मरम्मत का प्रस्ताव दिया था। लाखों के इस प्रस्ताव पर पर्यटन विभाग के लिए धनराशि आवंटित हुई थी। ऐसे में औली के इस इंटरनेशनल नंदादेवी स्की स्लोप पर लगी आज भी ये 18स्नो गनें और 4बूमर मशीन महज शुरुआती तीन स्नो गनों को छोड़ कर करोड़ों की बर्बादी का गवाह बनकर कबाड़ में तब्दील हो रही है।हर साल इन दोयम दर्जो की मशीनों से सफेद सोना उगलाने की कोशिस जरूर GMVN करता आ रहा है, बावजूद इसके पर्यटन महकमा और GMVN इन जंग खाई मशीनों से हर साल की तरह इस बार भी लगातार कृत्रिम बर्फ बननें की बात कह रहा है,लेकिन जगजाहिर है की औली की ढलानो में थोपा गया यह पुराना स्नो मेकिग सिस्टम आॅटो मोड में होने पर भी 8नम्बर टावर से नीचे कभी बर्फ बनाने में सफल नही हो सकता,लेकिन सरकार और उच्च अधिकारियों के दबाव में हर साल मेंटनेंस का ये शिगूफा छोड़ा जाता है,लेकिन ग्राउंड जीरो पर हकीकत शून्य है,बड़ी बात ये की इस मशीनों के भरोसे रह कर औली नें 4नेशनल विंटर गेम्स और दो इंटरनेशनल FIS नंदादेवी अल्पाईन स्की कप मेजबानी से हाथ धोया है,तो अब अचानक ये स्नो मेकिंग सिस्टम औली में GMVN के लिए अल्लादीन का चिराग बन गया है, हालाँकि शुरुआती तीन स्नो गने कुछ उम्मीद जगा देती है बाकी के सिस्टम आजतक फेल साबितही हूये,औली के दक्षिणमुखी ढलान देश दुनिया के स्कीयरों के लिए पहली पसंद रहे हैं।
गौरतलब है कि औली में 2011विंटर गेम्स के बाद 2012, 2013, 2015, 2016 में यहां नेशनल स्तर की खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन नहीं हो पाया था। यही नही इसी वजह से औली को तीन बार इंटर नेशनल FIS रेस की मेजबानी से भी हाथ धोना पढ़ा और औली की इस नंदादेवी इंटर नेशनल स्कीइंग स्लोप की मान्यता तक नेशनल विंटर गेम्स नही होने से स्थगित हो गई थी,