प्रदेश सरकार की पहल पर उद्यान विभाग के सौजन्य से अब सीमांत क्षेत्र जोशीमठ में सेब बागवानी में आयेगा क्रांतिकारी परिवर्तन,
आने वाले तीन सालों में पहली अमेरिकन प्रजाति के सेबों की फसल होगी तैयार,
सेब काश्तकारों नें क्लोनल रूट स्टॉक प्रजाति के नई तकनीक के 1300 नये पेडों को उगाने का उठाया बीड़ा,
सीमांत प्रखण्ड में खत्म हो चुकी सेब की रायल डेलीसस प्रजाति के स्थान पर अब क्लोनल रूट स्टाक प्रजाति का सेब उगाया जाएगा, क्लोनल रूट स्टॉक प्रजाति के सेब के पेडों के छेत्र में दस्तक देने से अब पर्यटन के साथ बागवानी के रूप में विकसित होगा जोशीमठ क्षेत्र ,
इन चीजों का होगा उत्पादन,,,,,,,,,
उद्यान विभाग जोशीमठ इन दिनों जोशीमठ फल पट्टी को बागवानी के रूप में विकसित करने की कवायद में जुट गया है. इसके तहत काश्तकारों को क्लोनल रूट स्टॉक जैसी नवीन प्रजाति के सेब और अखरोट के पौधे दिए जा रहे है हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर पर्यटन स्थल जोशीमठ और आसपास के गांवों को अब बागवानी के रूप में और नये रूप में विकसित किया जाएगा. यहां पर सेब, कीवी, अखरोट के उन्नत किस्म के पौधे लगाए जाएंगे. इसके लिए काश्तकारों से पौधों के लिए विभाग द्वारा डिमांड लेकर पेड बाँटने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. साथ ही काश्तकारों को सब्सिडी भी दी जा रही है.
इस प्रजाति की खासियत यह है कि इससे शीतकाल में ज्यादा चिलिंग टाइम की जरू रत नहीं पड़ती है। सामान्य ठंड में भी सेब के पौधों में अच्छी बढ़त होने लगती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि डेलीसस प्रजाति के पेड़ जहां पांच वर्ष बाद फल देता है वहीं नई प्रजाति में तीसरे वर्ष से उत्पादन होने लगता है और इसका पेड़ डेलीसस की तरह ज्यादा बड़ा नहीं होता
ऐसे में माना जा रहा है कि इससे काश्तकारों की आर्थिकी मजबूत होगी और जोशीमठ को आधुनिक फल पट्टी के रूप में पहचान मिलेगी.
दरअसल, जिला योजना के तहत उद्यान विभाग जोशीमठ की पहल पर उद्यान विभाग की ओर जोशीमठ समेत आसपास के गांवों को पर्यटन के साथ उन्नत किस्म की बागवानी के रूप में विकसित करने की तैयारी की जा रही है. इसके तहत काश्तकारों को क्लोनल रूट स्टॉक जैसी नवीन प्रजाति के सेब के पेड़ दिये जा रहे जिससे जल्द और अच्छी क्वालिटी के फलों की पैदावार होगी.
फलों के पौधे पर दी जा रही राज सहायता
उद्यान सचल दल जोशीमठ के अधिकारी सौमेश भंडारी ने बताया कि जोशीमठ में वातावरण इन प्रजाति के फलों के लिए मुफीद और अनुकूल है. इसके लिए क्षेत्र में कलस्टर भी बनाए जा रहे है.किसानों को अनुदान पर नवीन प्रजाति के सेब ₹100 प्रति पेड़, अखरोट ₹50 प्रति पेड़ के हिसाब से काश्तकारों को दिया जा रहा है,
भंडारी के मुताबिक, पौधों की डिमांड के आधार पर पौधे आ चुके है और वितरण भी लगभग पूर्ण हो चुका है,उद्यान विभाग जोशीमठ की इस पहल को स्थानीय लोग काफी सराहना कर रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस प्रकार के प्रयासों से आने वाले समय में पर्यटन व्यवसायियों के साथ काश्तकारों को बड़ा फायदा मिलेगा
बदलाव के दौर से गुजर रही जोशीमठ प्रखंड की सेब बागवानी को भी ठोस योजना की आवश्यकता है। समय की नजाकत को भांपते हुए सीमांत के बागबानों को ऐसी प्रजाति का चुनाव करना है, जो आने वाले सुखद भविष्य की गारंटी भी दे सके।