तम्बाकू नियंत्रण के लिए आईएमए ने चलाया पैन इंडिया जागरूकता अभियान
पैन इंडिया जागरूकता अभियान के साथ तम्बाकू नियंत्रण के लिए आगे बढ़ा आईएमए।
अंकित तिवारी
नई दिल्ली- डाइरेक्ट धूम्रपान, तम्बाकू महामारी से दुनिया भर में हर साल 70 लाख से अधिक लोगों को की जान जाती है, जिनमें से 9 लाख से अधिक लोग निष्क्रिय धूम्रपान करने वाले होते हैं। भारत में तंबाकू के दुरुपयोग के कारण मरने वाले लोगों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है।
आईएमए तंबाकू नियंत्रण परियोजना के बैनर तले ट्रेनर्स को ट्रेनिंग देने के लिए आईएमए की सभी साखाओं में रीजनल वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप का उद्देश्य आईएमए लीडर्स और सदस्यों को जागरूक करना और उन्हें महामारी विज्ञान, प्रभाव, आवश्यकता और तंबाकू नियंत्रण के लिए सही प्लान के बारे में सूचित करना था। प्रतिभागियों को बताया गया कि कैसे तंबाकू उनके लिए खतरनाक है और कैसे वे अपनी इस आदत से छुटकारा पा सकते हैं। डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी, एमपीओडब्लूईआर, सीओटीपीए और इसके इम्पलीमेंटेशन पर भी चर्चा की गई।
आईएमए के राष्ट्रीय ,अध्यक्ष डॉक्टर सांतनू सेन ने बताया की, “भारत में हर तरह के इलेक्ट्रोनिक निकोटीन सिस्टम (ईएनडीएस) को पूरी तरह से बैन करने के लिए केंद्र सरकार की हालिया एडवाइसरी के बाद भी बड़े शहरों में ई-सिगरेट और हुक्का आसानी से उप्लब्ध हैं। कई फ्लेवर्स में उपलब्ध और ट्रेंडी होने के कारण, यह कई युवाओं और गैर-धूम्रपान करने वालों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। ये सभी चीजें सीधा-सीधा लोगों को नुकसान पंहुचाती हैं और पारंपरिक सिगरेट के समान ही भयानक हैं। आईएमए ने अपनी केंद्रीय कार्य समिति की बैठक में हाल ही में ईएनडीएस के रूप में लोकप्रिय ई-सिगरेट के उपयोग का विरोध करने का फैसला किया।”
आईएमए के सभी सदस्यों को तम्बाकू नियंत्रण, रोकथाम, कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए आईएमए ने डॉक्टरों के लिए एंटी टोबैको स्लोगन प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता और अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों सहित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। स्लोगन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा, साथ ही उनके न्यूजलेटर में प्रकाशित भी किया जाएगा।
आईएमए के महासचिव, डॉक्टर आर. वी. असोकन ने बताया कि, “विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर, आईएमए शाखाओं को जागरूकता रैली आयोजित करने, वर्कशॉप की व्यवस्था/ मीडिया / पब्लिक / सोशल ग्रुप्स / पुलिस के लिए लेक्चर, रेडियो/ टीवी पर टॉक शो, पैम्फलेट, स्टिकर वितरित करने, केंसर की पेहचान के लिए शिविर की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। आईएमए डॉक्टरों को तम्बाकू नियंत्रण एडवोकेट के रूप में लगातार काम करना चाहिए, समुदायों तक पहुंचना चाहिए और तंबाकू-धूम्रपान और धूम्रपान रहित तम्बाकू के स्वास्थ्य खतरों के बारे में लोगों को जागरुक करना चाहिए। उन्हें खुद को तंबाकू नियंत्रण परामर्श और फार्माकोथेरेपी के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।”
भारत में, तंबाकू हर साल लगभग 1.3 मिलियन लोगों की जान लेने के अलावा यह कई बीमारियों को जन्म देता है जिसके कारण यह राष्ट्रीय इकोनॉमी पर एक बोझ बन चुका है। हालांकि, यहि तंबाकू के सेवन को रोक दिया जाए तो इससे होने वाली मृत्यु और बीमारियों को भी आसानी से रोका जा सकता है। 13 प्राकर के कैंसरों का यह इकलौता कारण है जिसमें सिर और गर्दन का भी कैंसर शामिल है। ये सभी कैंसर भारत में दुनिया के किसी भी देश से अधिक देखने को मिलते हैं। हाईपरटेंशन के बाद सीवीडी का दूसरा सबसे बड़ा कारण तंबाकू है। आईएमए तंबाकू नियंत्रण समिति के अध्यक्ष, डॉक्टर दिलीप कुमार आचार्य ने बताया कि, “भारत डब्ल्यूएचओ-एफसीटीसी के लिए एक हस्ताक्षरकर्ता है और हमारा सीओटीपीए कानून भी लागू है, लेकिन दुर्भाग्य से कानून अपना काम ठीक से नहीं कर पा रही है। युवाओं को तम्बाकू शुरू करने से रोकने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। कड़े किशोर न्याय अधिनियम के बावजूद, जिसमें 18 साल से कम उम्र के बच्चे को तंबाकू बेचने के लिए 1 लाख तक का जुर्माना और 7 साल तक के कारावास का भी प्रावधान है, लोग तम्बाकू सेवन को बंद नहीं कर पा रहे हैं। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीएटीएस 2016-17) के अनुसार, भारत में 55þ धूम्रपान करने वाले और 50þ धूम्रपान न करने वाले तम्बाकू उपयोगकर्ता तम्बाकू छोड़ने की योजना बना रहे हैं और हम जानते हैं कि इसके लिए उन्हें डॉक्टरों की मदद की जरूरत होगी।”
डब्ल्यूएनटीडी के अध्यक्ष, डॉक्टर वी.के. मोंगा ने बाताया कि, “गर्भवती मिहिलाओं के धूम्रपान करने या धुएं के संपर्क में आने से गर्भाशय में तंबाकू के धुएं के जहरीले पदार्थ उजागर होते हैं, जो अक्सर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। दूसरों के धूम्रपान करते वक्त जो धूआं अंदर जाता है उसके कारण जन्म लेने वाले छोटे बच्चों में अस्थमा, निमोनिया और ब्रोंकाइटिस के शुरू होने का खतरा होता है।”
