अंतररास्ट्रीय महिला दिवस पर जहा देश और प्रदेश के लोग मंच पर महिला सशक्तिकरण के बड़े बड़े दावे कर रहे थे वही वही उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लगे हुए मनेरा कालोनी में महिलाये सर पर गंगा नदी से से पानी ढोने को मजबूर थी | पहले यह इलाका ग्राम पंचायत के अधीन था किन्तु नगर पालिका में सामिल होने के बाद लोगो को विश्वास था कि अब उनकी पेयजल की दिक्कतों को सुलझा दिया जायेगा किन्तु ऐसा नहीं हो सका | विधान सभा चुनाव प्रचार के दौरान भी ग्रामीणों ने खाली पानी के बर्तन बजाकर विरोध प्रदर्शन किया था तब उन्हें सरकार के प्रतिनिधियों ने भरोसा दिलाया थी कि जल्द उनकी इस समस्या का समाधान किया जायेगा पर फिर भी ऐसा नहीं हुआ |
विगत 15 दिनों से मनेरा के ग्रामीण पानी की बूंद- बूंद के लिए तरस रहे है | दर्जनों परिवार ऐसे है जो अपने घर गाव छोड़ कर सिर्फ अपने बच्चो को अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिए यहाँ किराये का कमरा लेकर रह रहे है | ग्रामीणों की माने तो 20 वर्ष पूर्व जब गाव में सिर्फ 5 परिवार थे उस वक्त पाइप लाइन बिछायी गयी थी अब गाव में करीब 150 परिवार निवास कर रहे है और पानी की व्यवस्था उसी पाइप लाइन से हो रही है | पानी की कमी के चलते हर परिवार ने आंगन में गड्डा खोदकर एक पानी कि टोंटी वह भी लगायी है ताकि घर के कमरों में पानी न चढ़ने पर गहराई में कुछ तो पानी एकत्र किया जा सके |
सामाजिक कार्यकर्ता मधु भंडारी और संजय बिष्ट ने बताया कि शिकायत को लेकर महिलाओ का दल जल संस्थान ऑफिस भी गया था, साथ ही डीएम उत्तरकाशी को भी ज्ञापन दिया गया था पर कोई सुनवाई नहीं हुई, जिसके बाद परेसान होकर महिलाओ ने पानी के खाली डब्बे बजाकर सिस्टम का शोक मनाया | साथ ही चेतवानी दी कि पेय जल का संकट दूर नहीं किया गया तो ग्रामीण सडक जाम करने को मजबूर होंगे |
जल संसथान के अधिसशी अभियंता वीके डोगरा ने बताया कि इलाके में पानी का श्रोत सूखने से पानी का संकट पैदा हुआ है जिसके कारण मनेरा के एक हिस्से में पानी का संकट पैदा हुआ है जिसके लिए tube well से अथवा टुल्लू पंप चलाकर वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी