केदारनाथ यात्रा के बाद चर्चा में मट्टी के मटियाल देवता

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धार्मिक आयोजन के चलते गाँव को लौट रहे प्रवासी।
15 जुलाई को खुलेंगे मटियाल देवता के कपाट ।
रमौली पट्टी के 52 गांवो करते है देवपूजा।
देव ढोल की केदारनाथ पूजा के बाद चर्चा में आये थे मटियाल देवता।
गिरीश गैरोला।
मिट्टी से जुड़े शिव के अवतार मटियाल देवता मंदिर के कपाट इस वर्ष 15 जुलाई को खुलने जा रहे है। मंदिर समिति के महासचिव चंद्र मोहन भट्ट ममु ने बताया कि वर्ष में सावन माह में एक महीने के लिए मंदिर के कपाट खोले जाते है बाकी के समय गाँव मे ही देवता की पूजा की जाती है।

उत्तरकााशी जनपद के मट्टी गाँव मे वर्षो से चली आ रही इस परंपरा को विगत वर्षों से कुछ जागरूक युवाओ ने भब्य रूप दिया है, जिसमे गाँव की सभी व्याहता बेटियों को मायके बुलाया जाता है। रोजगार की तलाश में बाहर गए परिवारों को भी न्योता भेजा जाता है । समिति के अध्यक्ष धनश्याम भट्ट ने बताया कि पिछले वर्ष करीब 5 हजार की तादाद में लोग गांव में एकत्र हुए । सभी गाव वासियों ने मिलकर इनके रहने का इंतजाम किया। पूजा समाप्ति के बाद मटियाल देवता ने 1300 ध्याण को अपने आप प्रसाद और श्रीफल भिजवाए। इस बार लोगो के उत्साह को देखते हुए उम्मीद की जा रही है की करीब 10 हजार लोग मेले में मौजूद रहेंगे।


जुलाई वर्ष 2017 में मटियाल देवता उस वक्त चर्चा में आये थे जब देव ढोल के साथ ग्रामीण केदारनाथ यात्रा पर थे । मंदिर परिसर में दर्शन के लिए लगी कतार में ढोल में अचानक कंपन हुआ और तमाम फौज पुलिस और सुरक्षा को किनारे कर ढोल मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश कर गया तब मंदिर के मुख्य पुजारी ने भी स्वीकार किया था कि उनके जीवन काल मे इस तरह की पहली घटना हुई ,जब एक ढोल ने मंदिर में घुसकर केदारनाथ की। पूजा अर्चना की हो।
इतिहास पर नजर डाले तो मटियाल देवता 52 गाँव रमोली पट्टी का अधिष्ठतात देवता माने गए है,

किन्तु चार गाव मट्टी, धनेटि, गोरसड़ा, और नैपड को ही व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गयी है।
बर्ष भर में एक बार हो रहे इस धार्मिक आयोजन के चलते पलायन कर गाँव छोड़ चुके परिवार भी एक बार अपनी डोखरी – पोंगड़ी और छोड़ कुड़ी देखकर अपनी खुद मिटा रहे है।
कुछ ने अपने पुराने पुरखो के असियानो को मरम्मत करना भी सुरु कर दिया है। देव प्रसाद के साथ लोगो को अपनी जड़ों से जुड़ने का भी मौका मिल रहा है। शुक्र है जो कार्य सरकार और उनकी योजनाएं नही कर सकी उसे देवता करने जा रहे है। यही तो वजह है लोगो की धर्म मे आस्था की।

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