बेटी बचाओ या बेटी से बचाओ? प्रसव रिपोर्ट में चौकाने वाले आंकड़े।

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बेटी बचाओ या बेटी से बचाओ ?

शिक्षित और जागरूक परिवारों में क्यों घट रहा है बालिकाओं का जन्म अनुपात।

6 महीने की रिपोर्ट में चौंकाने वाले परिणाम।

गिरीश गैरोला

बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के सपनो को साकार करने के लिए इसकी मूल में जाते हुए डीएम उत्तरकाशी ने जो आंकड़ा एकत्र किया उसकी समीक्षा चौकाने वाली है। आखिर क्या कारण है कि शिक्षा और जागरूकता का प्रतिशत बढ़ने के बाद भी लोग बच्चियों को पैदा करने से डरने लगे है। डीएम उत्तरकाशी डॉ आशीष चौहान ने जनपद के 6 विकास खंड से आशा वार संस्थागत और घरेलू प्रसव के सापेक्ष जन्मे बालक बालिकाओं की रिपोर्ट तैयार करवाई जिसमे संबंधित गाँव का नाम आशा का नाम, गाँव की जनसंख्या , कुल प्रसव के सापेक्ष बालक और बालिकाओं की संख्या,

कुल प्रसवों के सापेक्ष बालक और बालिकाओं की संख्या का प्रतिशत का डेटा बेस तैयार करवाया जिसमे कुल प्रसवों के सापेक्ष बालिका प्रतिशत 25% से कम होने पर संबंधित आशा को रेड ज़ोन में रखा गया तो जिले के तीन ब्लॉक भटवाड़ी, डुंडा और चिन्याली में ज्यादातर आशा रेड ज़ोन में है जबकि पुरोला , मोरी और नौगांव में करीब 50% आशा रेड ज़ोन में है।

चौकाने वाली बात ये है कि ज्यादातर में बालिकाओं के पैदा होने का प्रतिशत जीरो ही है।आखिर ऐसा क्या हो गया कि सब पैदा होने वाले मेल चाइल्ड ही है। जबकि सभी स्थानों पर पीएनडीटी एक्ट में अल्ट्रासाउंड में गर्भ में पल रहे बच्चे का सेक्स परीक्षण करवाना अपराध की श्रेणी में रखा गया है और जांच करने और करवाने वालो को सजा का भी प्राविधान किया गया है और अल्ट्रसाउंड मशीन भी सीज करने की व्यवस्था दी गयी है।

तो क्या अभी भी विवाहित जोड़े चोरी चुपके से  सेक्स परीक्षण करवा रहे है ? गर्भ धारण के साथ ही अस्पताल में जाने के साथ ही कार्ड बनते ही गर्भवती महिला सरकारी राडार पर आ जाती है, तो क्या यहाँ भी नर बच्चे के होने की पुख्ता जानकारी के बाद ही पंजीकरण किया जा रहा है?  कुछ तो खेल है जो मुख्यलय से जुड़े तीन ब्लॉक में बालिका जन्म की विगत 6 महीने के रिपोर्ट चौकाने वाली है।डीएम डॉ आशीष चौहान ने बताया कि  6 महीने का आंकड़ा तैयार करने के बाद वे खुद वे आश्चर्य में पड़ गए है, लिहाजा उन्होंने आशा कार्यकत्रियों को बुलाकर हिदायत दी कि आशा भी अब उनकी नजर में है। उन्होंने कहा कि वे 3 और महिंनो का इंतजार कर कुल 9 महीनों के डेटा बेस तैयार करेंगे यदि बालिकाओं के जन्म की यही दर रही तो आशा कार्यकत्रियों को भी दोषी माना जायेगा।

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