पूरे प्रदेश में इस वक्त मानसून की वर्षा के चलते दैवी आपदाओं की घटनाएं समाचार पत्रों की सुर्खियां बन रही हैं , जबकि उत्तरकाशी जिला मुख्यालय के पास स्थित मस्तानी गांव में आपदा का भूत ग्रामीणों को परेशान किये है, वर्ष 1998 से परेशान ग्रामीण इस बार अजीब सी परेशानी झेल रहे है, घर घर से पानी निकल रहा है घर की दीवार और जमीन में दरारें आ रही है, लोग घर छोड़कर टैंट में रहने को मजबूर है घर पानी से भरे हुए है, ग्राम प्रधान सत्यनारायण सेमवाल कहते है न बोलते बनता है और न चुप ही रह जाता है ऐसा लगता है हमारा गांव जादू की चिड़िया बन गया है।
18 जुलाई की रात उत्तरकाशी मे बादल फटने की घटना के बाद से माँड़ो और कंकराड़ी गाव मे ज़िंदगी धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगी है पर बिना जनहानी के मसताड़ी गाव मे घर घर से जो बड़ी तादाद मे पानी निकलना सुरू हुआ वह अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है | बरसात के मौसम मे जब कीड़े मकोड़ो के साथ जंगली जानवरो का भी खतरा बना हुआ है ऐसे मे ग्रामीण अपने घर बार छोडकर जंगल के बीच रात के घुप्प अंधेरे मे टैंट मे रात गुजरने को मजबूर है |
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित मस्ताड़ी गांव में भूधसाव और घरों के अंदर पानी निकलने का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। राहत के तौर पर जिला प्रशासन ने गांव में 5 टैंट लगा दिए हैं। कुछ परिवार अपने जर्जर घरों में ही सोने के लिए विवश है | मस्ताड़ी गांव के प्रधान सत्यनारायण सेमवाल ने बताया कि मस्ताड़ी गांव में दरारें पड़ने और भूस्खलन होने की घटना 1991 के भूकंप से शुरू हो गई थी। वर्ष 1997 में गांव का भूविज्ञानियों ने सर्वे भी किया गया था और गांव को विस्थापित और सुरक्षात्मक कार्य करने के सुझाव भी दिए। लेकिन, 24 वर्ष बाद गांव का विस्थापन तो दूर सुरक्षात्मक कार्य भी नहीं किए गए। हाल में हुई बारिश के कारण मस्ताड़ी गांव में घर आंगन से लेकर रास्तों तक दरारें और अधिक बढ़ गई। ग्रामीणों को डर है कि उनके घर कभी भी जमींदोज हो सकते हैं।
गांव के प्रधान सत्यनारायण सेमवाल ने बताया कि ग्रामीणों के घरों के अंदर पानी निकल रहा है। साथ घरों में दरारें लगातार बढ़ती जा रही हैं तथा जमीन के अंदर से भी पानी की आवाज आ रही है। इससे मकानों के ढहने का खतरा बना हुआ है। भूस्खलन घरों की सुरक्षा दीवार और खेतों के पुश्ते भी ढहने की कगार पर आ गए हैं।
भूविज्ञानिकों की टीम ने मस्ताड़ी गांव के जियो-फिजिकल और जियो-टेक्निकल सर्वे की वकालत की ताकि मस्ताड़ी गांव में भूस्खलन के पीछे के कारणों का सही पता चल सके। इसके बाद विस्थापन को लेकर रिपोर्ट दी जा सकेगी।