उत्तराखंड में के सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में आज भी जज्चा और बच्चा दोनों का स्वास्थ्य इन प्रसिक्षित दाइयो के कंधो पर है इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने इनको दिये जाने वाले मानदेय को 500 रुपये प्रतिमाह से घटाकर 400 रुपये प्रतिमाह कर दिया |
ग्रामीण स्तर पर माँ और बच्चे के स्वास्थ्य की जिम्मेदारियों को थामे हुए स्वास्थ्य दाइया विगत 33 दिनों से उत्तरकाशी कलेक्ट्रेट में धरना देने को विवश हैं | बताते चलें कि ग्रामीण पहाड़ी क्षेत्रों में जहां आज भी स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सिर्फ यही प्रशिक्षित दाई नवजात बच्चों को प्रसव के दौरान नया जीवन दे रही हैं, इन्हें सरकार से महीने में मात्र ₹400 मानदेय मिलता है, जो इनके पारिवारिक भरण पोषण के लिए पर्याप्त नहीं है स्वास्थ्य दाई संगठन 7 अक्टूबर 2021 से उत्तरकाशी कलेक्ट्रेट में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठा हुआ है|
धरने के 33 वें दिन राज्य स्थापना के मौके पर जब प्रभारी मंत्री गणेश जोशी उत्तरकाशी मुख्यालय पहुंचे तो दाई संगठन ने उन्हें अपनी पीड़ा से अवगत कराया |
हर बार की तरह मंत्री जी ने उन्हें इस बार भी आश्वासन दिया है कि सरकार उनकी बातों पर जरूर अमल करेगी | उम्र दराज और कम पढ़ी लिखी इन दाइयो को प्रसव का एक लंबा और बेहतरीन अनुभव प्राप्त है |
महिलाएं घर की आर्थिकी की रीढ़ होती है और घर के चौका चूल्हा से साथ खेत खलिहान के काम से निपटा कर उसे अपनी राजनीतिक लड़ाई भी लड़नी है, ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता रमेश राज दाई संगठन की मदद के लिए आगे आए हैं | रमेश राज ने बताया कि दाई संगठन प्रमुख रूप से तीन मांगों को लेकर धरने पर बैठा हुआ है , जिसमें प्रथम स्वास्थ्य दाइयो का मानदेय ₹21000 प्रति माह करने, स्वास्थ्य दाइयो को स्वास्थ्य केंद्र ,उप केंद्र में अथवा एएनएम सेंटर में चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों के रूप में नियुक्ति दी जाए और तीसरी मांग के रूप मे स्वास्थ्य दाइयो को आशाओं के समान सभी भत्ते और प्रसव यात्रा भत्ता और पोशाक दिए जाने की मांग की गई है|