उत्तरकाशी
ऊपर से गिरता पहाड़ और नीचे गहरी टिहरी झील दोनों तरफ से मौत का खौफ | ये नजारा उत्तरकाशी के चिनियाली सौड़ – जोगत सड़क मार्ग का है | जहा झील मे धँसी सड़क से बारात निकाल रही है – ऊपर से पत्थर गिरने का डर और जमीन पर जरा सी असावधानी से झील मे गिरने का खौफ आने जाने वालों के चेहरे पर देखा जा सकता है | टिहरी झील निर्माण के बाद इस इयाके ने वर्षों तक बिना वजह काला पानी की सजा पाई है वर्षों आंदोलन के बाद गंगा भागीरथी पर पुल स्वीकृत हुआ लेकिन अब संपर्क मार्ग झील मे सामने से एक बार फिर ग्रामीणों के सामने पहले जैसा संकट खड़ा हो गया है |
लगातार विस्तार ले रही टिहरी झील रह रह कर लोगों को अभी डराने मे लगी है | झील के किनारे बनी यह सड़क गंगा पार के 40 गाँव की लाइफ लाइन है , इसी सड़क से होकर टिहरी जिले के कई गाँव का भी संपर्क बना हुआ है | पिछले 14 नवंबर को हाड़ियाडी के पास सड़क का एक बड़ा हिस्सा झील मे समा गया जिसके बाद गंगा पार के दर्जनों गाँव का संपर्क कट गया |
इस स्थान पर संभावित भूस्खलन की संभावना को देखते हुए स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन को सूचित किया था | सड़क धँसने के बाद डीएम उत्तरकाशी ने 10 लाख रुपये का बजट वैकल्पिक मार्ग निर्माण के लिए स्वीकृत किया | आरोप है कि लोक निर्माण विभाग ने गंगा पार के ग्रामीणों की आवाजाही की व्यवस्था कीये बिना एक सप्ताह के लिए आवाजाही प्रतिबंधित कर दी | ग्रामीणों ने शोर मचाया तो टीचडीसी ने छोटी नाव आवाजाही के लिए भेज दी | बताते चले की इन दिनों शादी विवाह का सीजन चल रहा है लिहाजा इस मार्ग पर आवागमन बढ़ गया है | डीएम द्वारा बिना वैकल्पिक व्यवस्था के आवागमन रोके जाने से नाराज ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और टीएचडीसी के खिलाफ नारेबाजी की और बड़ी नाव भेजने की मांग की है ताकि शादी के मेहमान और सामान इसमे ले जाया जा सके |
इतना ही नहीं धँसी हुई सड़क के ऊपर रेतीली मिट्टी को काट कर बनाई जा रही वैकल्पिक सड़क पर ग्रामीणों को कतई भरोसा नहीं है उनका कहना है कि ये सड़क भी जल्द ही झील मे धंस जाएगी उन्होंने कोटी सौड़ से कोटी गाड़ और गैलाड़ी से जाने वाले दो स्वीकृत वैकल्पिक मार्ग पर तत्काल निर्माण कार्य सुरू करने की मांग की है |
