नर्मदा चुनौती सत्याग्रह
सुश्री मेधा पाटकर ने 9वें और शेष प्रभावितों ने 5वें दिन अनशन त्यागा
सरकार के वार्ताकारों की उपस्थित में नघाविप्रा कमिश्नर से अनेक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा.
अंकित तिवारी।
बड़वानी| मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आंदोलन के साथ संवाद कर सभी सरदार सरोवर प्रभावितों के पुनर्वास का आश्वासन दिया है। सरकार का अपने नागरिकों के हितों की रक्षा का आश्वासन प्रशसंनीय है लेकिन अब ठोस और पारदर्शी कार्रवाई की आवश्यकता है। सरकार के मध्यस्थों तथा नघाविप्रा के कमिश्नर श्री पवन कुमार से ढाई घण्टे चर्चा कर प्रभावित प्रतिनिधियों और अनशनकारियों ने विचार कर अनशन समाप्त करने का निर्णय लिया। प्रभावितों के पुनर्वास के लिए अगले सप्ताह 9 सितंबर से भोपाल में विस्तृत चर्चा प्रारंभ होगी।
उल्लेखनीय है कि 32 हजार प्रभावितों के जीवन और जीविका की रक्षा करने के लिए ग्राम छोटा बड़दा (बड़वानी) में जारी नर्मदा चुनौती सत्याग्रह में सुश्री मेधा पाटकर एवं अन्य प्रभावितों का अनिश्चितकालीन अनशन जारी था।
चर्चा के दौरान नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (नघाविप्रा) की अब तक की पुनर्वास प्रक्रिया को प्रभावितों के अधिकारों के खिलाफ बताते हुए सभी मुद्दों पर तुरंत निर्णय लेकर ठोस कार्रवाई करते हुए सभी का समयबद्ध तरीके पुनर्वास करने की मांग की। साथ सरकार को चेताया कि नघाविप्रा में दशकों से जमें भ्रष्ट अधिकारी सरकार की अच्छी मंशा पर पानी फेर सकते हैं। आंदोलन ने इस दल में नघाविप्रा के भोपाल के अधिकारियों का मुद्दा भी उठाया।
बैकवाटर
92 गांवों और 1 नगर के 15,946 परिवारों को बिना किसी आधार के गैरकानूनी तरीके से बैकवाटर स्तर से बाहर कर पुनर्वास लाभों से वंचित कर दिया है। हालांकि डूब बाहर किए कई गांवों के इन हिस्सों के पास अभी जलस्तर पहुँच गया है। जहां अभी पानी नहीं पहुँचा है उन हिस्सों की भी बिजली काट दी गई है जिससे गांवों में पेयजल की समस्या खड़ी हो गई है।
प्रभावित गांवों से नागरिक सुविधाएँ-स्कूलें, आंगवाड़ी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सार्वजनिक परिवहन आदि – पिछले 2 वर्षों से हटा दी गई है। इससे प्रभावित गांवों में जीवन कष्टप्रद हो गया है। सरकार इस को यह गलती तुरंत सुधार कर बैकवाटर से बाहर किए गए प्रभावितों के साथ न्याय करना चाहिए।
गैरकानूनी डूब रोकें
सरदार सरोवर बांध के गेट बंद कर लाई जा रही डूब से हजारों परिवारों के घर और खेत बिना पुनर्वास डूबाए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार को इन प्रभावितों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए उनके पुनर्वास अधिकारों का संरक्षण कर गैरकानूनी डूब को तुरंत रोकने के लिए हर स्तर पर प्रयास करना चाहिए। जब तक सारे प्रभावितों का नीति अनुसार पुनर्वास नहीं हो जाता तब तक इस डूब को रोका जाना चाहिए। एक समयबद्ध कार्ययोजना बनाकर अगले 1 वर्ष में हर परिवारा का पुनर्वास सुनिश्चित करना चाहिए।
सहभागी प्रक्रिया
सरकार ने प्रभावितों की पात्रता निर्धारण हेतु आंदोलन के साथ मिलकर एक सहभागी प्रक्रिया प्रारंभ करने का अश्वासन दिया है। इस प्रक्रिया में आंदोलन के प्रतिनिधियों के नाम आंदोलन द्वारा प्रस्तावित किए जाएंगे। साथ ही मांग की कि मुख्यमंत्री की ओर से भिजवाए गए वार्ताकार सर्वश्री शरदचंद बैहार (पूर्व मुख्य सचिव), सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र कोठारी और पत्रकार राकेश दीवान को संवाद की इस प्रक्रिया में आगे भी शामिल रखा जाए।
आंदोलन के मुद्दों पर सरकारी जवाब
आंदोलन द्वारा पुनर्वास से संबंधित 33 मुद्दों पर विस्तृत ज्ञापन विभाग के मंत्री को 25 जनवरी 2019 को सौंपे गए थे। विभाग द्वारा इसके जवाब अनशन के 7वें दिन 31 अगस्त 2019 की रात को उपलब्ध करवाए गए। ये जवाब अतार्किक, असंबद्ध, हास्यास्पद और पीड़ित प्रभावितों की हंसी उड़ाने वाले होकर विधिसम्मत नहीं हैं। आंदोलन ने इन जवाबों को सिरे से खारिज करते हुए इसे तैयार करने वाले अधिकारी से सरकार को सतर्क रहने का निवेदन किया।
गलत आंकड़े
कल की चर्चा में कमिश्नर ने प्रभावित गांवों की संख्या 178 बताई है लेकिन नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) को मुख्य सचिव द्वारा लिए गए पत्र में त्रुटिपूर्ण आंकड़ों का उल्लेख करते हुए प्रभावित गांवों की संख्या केवल 66 और प्रभावित परिवारों की संख्या 6000 बताई है। सरकार को त्रुटि सुधार करते हुए एनसीए समेत सभी फोरमों पर सही आंकड़ों प्रस्तुत करना चाहिए।
डूब और जबरन बेदखली रोकी जाए
आंदोलन ने गैरकानूनी डूब रोकने की मांग करते हुए सरदार सरोवर के बांध के गेट खुलवाने हेतु ठोस कार्रवाई करने की मांग। साथ ही पुलिस दमन से प्रभावितों की जबरन बेदखली रोकने की मांग की। जब तक समस्त प्रभावितों का नीति अनुसार पुनर्वास नहीं हो जाता तब तक डूब न लाई जाए।
समर्थक साथी
आज गोल्डमेन पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित उड़ीसा के श्री प्रफुल्ल सामंतरा ने अस्पताल में उपचाररत् सुश्री मेधा पाटकर के स्वास्थ्य की जानकारी लेकर डूब क्षेत्र में जाकर प्रभावितों से मिले।
सरकार के साथ प्रारंभ हुए इस संवाद की अगली कड़ी में 9 सितंबर को भोपाल में विस्तार से चर्चा की जाएगी। चर्चा के दौरान सैकड़ों प्रभावित भी भोपाल में उपस्थित रहेंगें। यदि सरकार अपने वादे से पलटने का प्रयास करती है तो वहीं पर अनिश्चितकालीन कार्यक्रम प्रारंभ कर दिया जाएगा।
भागीरथ धनगर, नरेंद्र यादव, रेहमत मंसूरी, हुकुम जाट, देवीसिंह तोमर, महेंद्र तोमर, पेमल बहन, कमला यादव, मेधा पाटकर