देहरादून। आम आदमी पार्टी के गढ़वाल मीडिया प्रभारी और प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र सिंह आनंद ने एक बयान जारी कर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस बयान एवं विजन पर सवाल उठाए जिसमें उन्होंने कहा है कि 2025 तक उत्तराखंड अग्रणी राज्य बनेगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग फिसड्डी हो भला वो कैसे अग्रणी राज्य हो सकता है ? उन्होंने ताजा सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि अभी हुए ताजा सर्वे में उत्तराखंड फिसड्डी रहा जो हमारे लिए शर्म की बात है उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार सिर्फ जुमले देना ही जानती है इसलिए पहाड़ की भोली भाली जनता को अंधेरे में रखने का काम कर रही है जबकि स्थिति बिल्कुल विपरीत है कि स्वास्थ्य विभाग एवं उत्तराखंड के हॉस्पिटल जहां ना चिकित्सक हैं ना ही बेड और ना ही सुपर स्पेशलिटी सर्विसेस उन्होंने कहा इस प्रकार की बचकानी बातें करना धामी जी की पुरानी आदत है।
उन्होंने आगे कहा कि जिस प्रदेश में महिला सुरक्षित ना हो एवं प्रदेश में आए दिन महिलाओं के साथ शोषण, व्यभिचार और हिंसा के मामले सामने आते हो एवं उनमें भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की संलिप्तता जनता के सामने प्रदर्शित होती हो भला ऐसा प्रदेश 2025 में अग्रणी कैसे हो सकता है ? उन्होंने अंकिता भंडारी मामले का ताजा उदाहरण देते हुए कहा की सरकार ने इस मामले को पूरी तरह से दबा दिया है उन्होंने कहा ना सिर्फ सरकार के इशारे पर वंत्रा रिसोर्ट को खुर्दपुर कर सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई बल्कि इसमें संलिप्त भाजपा के वीआईपी के नामों पर भी पर्दा डाला गया क्या ऐसे प्रदेश में जहां महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस करती हूं उस प्रदेश को अग्रणी प्रदेश कहा जा सकता है। उन्होंने इसके अलावा भ्रष्टाचार पर हमला बोलते हुए कहा कि अब तो भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी स्वीकार किया है कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार का बोलबाला है उन्होंने कहा जिस प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर हो वह प्रदेश अग्रणी कैसे हो सकता है। वहीं दूसरी ओर उन्होंने कहा कि कुछ समय पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी उत्तराखंड में भ्रष्टाचार चरम पर होने की बात स्वीकारी थी। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को नसीहत देते हुए कहा कि पहले भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा स्वास्थ्य ,शिक्षा पर काम करें फिर अग्रणी प्रदेश की बात करें। उन्होंने प्रदेश के बंद पड़े सरकारी स्कूलों का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में पिछले 5 वर्षों में ढाई हजार सरकारी स्कूल उत्तराखंड में बंद हुए हैं जो कि अपने आप में एक प्रश्न चिन्ह है एवं सरकार के कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करता है।