ऋषिकेश।
हिमालय के साथ हम तभी तक है जब तक पेड़ है, पर्यवरण को बचाने के लिए बंद कम्रोनमे चिंतन छोड़ स्व विवेक से धरातल पर उतरना होगा।
इसी कड़ी में परमार्थ निकेतन में हिमालय परिवार कार्यकारिणी का आयोजन किया गया जिसमें दो दिनों तक हिमालय संरक्षण पर चिंतन व विवेचन किया जायेगा।
गिरीश गैरोला
इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, श्री भूपेन्द्र कंसल राष्ट्रीय महामंत्री हिमालय परिवार, वन्दना पाठक राष्ट्रीय महामंत्री, भुवन भट्ट सह सम्पादक और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यकारिणी का शुभारम्भ किया।
हिमालय संरक्षण, चिंतन व विवेचना समिट में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने हिमालय संरक्षण हेतु प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी विषय पर उद्बोधन दिया। अन्य विशिष्ट अतिथियों ने भी ’हिमालय के प्रति चेतना’ विषय पर प्रकाश डाला।इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अमेरिका से आये श्री समीर भंसाली और श्रीमती भंसाली जी को सम्मानित किया। श्री भंसाली जी भारत में पराली से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने हेतु ऐग्री बोर्ड प्रोजेक्ट के माध्यम से पराली से बोर्ड बनाकर 2022 तक प्रत्येक परिवार का अपना घर हो को साकार करने में योगदान प्रदान कर रहे है
। भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी का यह संकल्प है कि वर्ष 2022 तक प्रत्येक परिवार का अपना घर होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि आज हिमालय परिवार हिमालय की गोद और माँ गंगा के पावन तट पर बैठकर हिमालय संरक्षण के लिये चिंतन कर रहा है।
हिमालय पूरी दुनिया को जीवन प्रदान कर रहा है। हिमालय को हमें जानना होगा और उसके दर्द को महसूस करना होगा। हिमालय, देवत्व से भरा है, हिमालय अपने लिये नहीं अपनो के लिये जीता है। हमें भी अब हिमालय के प्रति कृतज्ञ होना होगा। कृतज्ञता, अर्पण, तर्पण और समर्पण की संस्कृति तो भारत की संस्कृति है। हिमालयन संस्कृति और हिमालय दृष्टि भी यही है।’’स्वामी जी महाराज ने कहा कि हिमालय है तो हम है, हिमालय है तो गंगा है और हिमालय है तो नदियाँ है। जंगल, नदी की माँ हंै क्योकि पेड़ होंगे तो जंगल होगा और जंगल होगा तो ही जल का संरक्षण हो सकता है।
उन्होने कहा कि जिस प्रकार बैंक बिना पैसों का नहीं हो सकता, बिना पेड़ों के जंगल नहीं हो सकता उसी प्रकार बिना जल के नदियां नहीं हो सकती और जल व वायु के बिना जीवन नहीं हो सकता।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने हिमालय के संरक्षण हेतु कई सुझाव दिये। साथ ही हिमालय परिवार के सदस्यों को वृक्षारोपण के लिये प्रेरित किया और कहा कि प्लास्टिक का उपयोग न करें क्योकि इससे पहाड़ों के नैसर्गिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है। स्वामी जी ने हिमालय परिवार के सदस्यों को हिमालय की सुरक्षा के लिये वृक्षारोपण, जल के स्रोतों के संरक्षण तथा एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करनें का संकल्प कराया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने हिमालय परिवार कार्यकारिणी में सहभाग हेतु आये विशिष्ट अतिथियों को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।
इस अवसर पर राजी सिंह, जय किशन गुप्ता, जयंति ठाकुर, सुमेश लिलौटिया, डाॅ राकेश शर्मा, रवि त्यागी, मुनेश दहिया, राजेश बजाज, दमयंती रावत, सुधा शर्मा, राज शर्मा, अजय वाधवा, मीरा तोंगरिया, पुष्पा राजपूत, अभिषेक मिश्रा, सुशीला रावत, किरण त्यागी, तरूण जैन, राजेश अग्रवाल, उज्वल गोयल, वर्षा जैन, संजीव गुप्ता, आर्यन जैन, तरूण जैन, कैलाश जैन, महेश गोयल और अन्य सदस्यों ने सहभाग किया।