लोकसभा चुनाव में वीवीपैट को लेकर पहाड़ी क्षेत्रों ने बनाया रिकॉर्ड ,।
गिरीश गैरोला
लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव के दौरान इस बार वीवीपैट मशीन पहली बार उपयोग में लाई गई थी।
गौरतलब है विपक्षी दलों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन वोटिंग मशीन पर शक जाहिर किए जाने के बाद वीवीपैट मशीन लांच की गई थी, जिसमें वोटिंग के समय ही 7 सेकंड के लिए किस प्रत्याशी को वोट दिया है यह पर्ची मशीन पर दिखाई देती है और उसके बाद खुद-ब-खुद बॉक्स में बंद हो जाती है। चुनाव आयोग ने विधानसभा वार न्यूनतम 5 वीवीपैट मशीन से भी वोटिंग पर्ची की भी गिनती की व्यवस्था की है। पहली बार उपयोग में लाई जाने वाली मशीन के लिए दिक्कत इस बात की थी जरा से हिल जाने पर इसके खराब होने की संभावना बहुत ज्यादा थी।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में दुर्गम मार्गों पर मशीन के खराब होने की संभावना सबसे ज्यादा व्यक्त की जा रही थी किंतु जब चुनाव संपन्न हुए तो परिणाम आश्चर्यजनक थे ।
एक और जहां मैदानी क्षेत्रों में वीवीपैट मशीन के खराब होने का प्रतिशत 30 से 35 % रह, वहीं उत्तरकाशी, टिहरी चमोली , पौड़ी जैसे पहाड़ी जनपदों में मशीन खराब होने का प्रतिशत 5:00 से 7:00 तक ही सीमित रहा।
डीएम उत्तरकाशी dr आशीष चौहान ने बताया कि मशीन की संवेदनशीलता को देखते हुए उनकी टीम द्वारा विशेष तैयारी की गई थी जिसके लिए मतदान कर्मियों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया गया था।
सफर के दौरान वीवीपैट मशीन को सावधानीपूर्वक गोद में रख कर ले जाने की हिदायत दी गई थी, साथ ही अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाने के लिए मशीन को सफेद कपड़े से ढकने की भी व्यवस्था भी की गई थी यही वजह रही दुर्गम पहाड़ी मार्ग पर भी मशीन में बहुत कम खराब हुई।
https://youtu.be/1lLmh1xAyso