देहरादून। आचार्य गुरु और वैज्ञानिक संत पाठशाला संवर्धक आचार्य निर्भय सागर जी महाराज का ससंघ विहार महावीर गौशाला कुआं वाला से दिगंबर जैन भवन एवं पंचायती मंदिर के लिए प्रातः 5.30 बजे प्रारंभ हुआ। विहार को भव्यता देने हेतु सभी श्रद्धालुगण दो पहिया वाहनों पर जैन धर्म का ध्वज लगाकर भारी संख्या में पहुंचे सभी धर्म प्रेमी बंधुओं ने गुरुदेव के विहार में उनके जयकारे लगाते हुए भजन गाते हुए उनको लेकर जैन भवन गांधी रोड पर पहुंचे। इस अवसर पर जैन समाज के सभी भक्तजनों ने आचार्यश्री का प्रक्षालन किया।
गांधी रोड स्थित जैन मंदिर में गणधर विलय विधान में विज्ञानी संत आचार्यश्री 108 निर्भय सागर जी महाराज ससंघ ने मंगल प्रवचन में कहा कि दर्पण में देखकर अपने चहरे पर लगे दाग को साफ कर सकते हो, अपने आपको अंदर तक झांकना है तो मंदिर जी में जाकर भगवान की प्रतिमा को देखो। प्रतिमा को देखकर स्वयं के आचरण का आंकलन करो और समझो तो निःसंदेह मन के साथ आत्मा का भी उजियारा हो जायेगा। आचार्य श्री ने कहा कि जैसा उद्देश्य होता उसे वैसा ही फल मिलता है, हाथ में जब चाकू मारने के लिए उठाया जाता है तो उसे पाप फल मिलता है, वही जब कोई चाकू आपरेशन के लिए उठाया जाता है तो उसे पुण्यफल मिलता है। उन्होने कहा कि मानव जिस स्थान पर रह रहा है वह घर को सजाने संवारे में दिन रात लगा रहता है। वह घर घर नहीं बल्कि मरघट है जहां से प्राणों का अंत होता है, वैराग्य ही एक ऐसा मार्ग है जो मरघट को भी मंदिर बना सकता है। जब साधू का घर में प्रवेश होता है आहारचर्या होती है तो वह घर भी किसी मंदिर से कम नहीं दिखाई देता है। जहां जैसा महौल होता है वहां वैसे ही विचार आते है। आचार्यश्री ने कहा कि जब बैंक का गवर्नर कागज पर हस्ताक्षर करता तो कागज की कीमत धन से आंकी जाने लगती है तो जब आप तीन लोक के नाथ के दरबार में जायेगें उन्हे शीश झुकायेगे तो उनका जो आशीर्वाद मिलेगा उसका क्या आंकलन होगा सोचो। इस अवसर पर राजेश जैन (महामंत्री) संदीप जैन (जैन भवन मंत्री) सुखमाल जैन (अध्यक्ष उत्तराखंड जैन समाज) मीडिया प्रभारी मधु सचिन जैन, विशेष सहयोग (जैन मिलन पारस) डॉक्टर संजय जैन, सुनील जैन, नरेश चंद जैन (राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष) मोनिका जैन, रचना जैन, सुमन जैन,संजय जैन, पंकज, सनद, अंकित, मंत्री अर्जुन, संयोजक अशोक जैन, सुकुमार जैन, सुप्रिया, सिम्मी आदि लोग मौजूद रहे।