“गैरसैंण की वादियों में , 8 देशों के राजदूत मंत्रमुग्ध, बोले – यहाँ की मिट्टी में है आत्मा की शांति

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**🌿 “गैरसैंण की वादियों में गूंजा अंतरराष्ट्रीय सम्मान!”


🌍 भराड़ीसैंण की धरती पर विदेशी मेहमानों ने महसूस की भारतीय संस्कृति की धड़कन

छोलिया की ताल, वादियों की मुस्कान और मिट्टी की महक ने जीत लिया दिल।

भराड़ीसैंण, गैरसैंण | 20 जून 2025, शुक्रवार
उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण आज दुनिया के नक्शे पर एक सांस्कृतिक चमक बनकर उभरी। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे 8 देशों के राजदूत और उच्चायुक्त जैसे ही भराड़ीसैंण विधानसभा परिसर पहुंचे — प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक समृद्धि ने उन्हें बांध लिया


🎥 कैमरे में कैद होती रही हर मुस्कान, हर हरियाली

विदेशी मेहमान गाड़ी से उतरते ही जैसे किसी स्वप्नलोक में उतर आए हों
घुमावदार रास्तों, बादलों से ढकी पहाड़ियों और साफ़ हवा ने जैसे उनके भीतर की थकान छीन ली।

“ये स्थान केवल एक राजधानी नहीं, ये आत्मा का विश्रामस्थल है,”
फेडेरिको सालास, मैक्सिको के राजदूत


🥁 छोलिया की गूंज, ढोल दमाऊ की ताल – स्वागत हुआ आत्मीयता से

राजदूतों का स्वागत उत्तराखंड के पारंपरिक छोलिया नृत्य, ढोल-दमाऊ, और लोकवाद्य यंत्रों की धुनों पर हुआ।
कलाकारों की पारंपरिक पोशाकें, नृत्य की ऊर्जा, और आत्मीय मुस्कान – हर दृश्य ने मेहमानों को भारत की आत्मा से जोड़ दिया।

“हमने भारत को सिर्फ किताबों में पढ़ा था, लेकिन आज यहां की आत्मा महसूस की है,”
मार्क्स डीतॉन्स, लातविया दूतावास


📸 सेल्फी मोमेंट्स और मुस्कुराते चेहरे – विदेशी मेहमानों ने खुद को बताया भाग्यशाली

हर एक राजनयिक ने अपने मोबाइल से गैरसैंण की वादियों, पारंपरिक नृत्य और स्थानीय लोगों की गर्मजोशी को कैमरे में कैद किया।
छोलिया कलाकारों के साथ सेल्फी, सांस्कृतिक संवाद और प्राकृतिक पृष्ठभूमि में हंसी-ठिठोली, यह पल अविस्मरणीय बन गया।

“यह केवल दौरा नहीं, एक आध्यात्मिक अनुभव था,”
डॉ. शंकर प्रसाद शर्मा, नेपाल के राजदूत


🧘‍♂️ योग, संस्कृति और प्रकृति – एक ही जगह पर तीनों का संगम

स्वामी भारत भूषण की उपस्थिति और योग पर संवाद ने इस आयोजन को एक गहराई दी।
गैरसैंण ने न सिर्फ संस्कृति को दिखाया, बल्कि एक वैश्विक संवाद को जन्म दिया


🌱 एक संदेश, जो पहाड़ों से पूरी दुनिया तक गया

“उत्तराखंड केवल देवभूमि नहीं, यह विश्व सांस्कृतिक धरोहर का ह्रदय है।”
यह कार्यक्रम एक संदेश बनकर उभरा – जब संस्कृति और प्रकृति मिलती हैं, तब हर दिल झुक जाता है।


📣 आप कब गैरसैंण आएंगे? जहां वादियां बातें करती हैं, और संस्कृति स्वागत करती है।

यहाँ सिर्फ सांस नहीं ली जाती… यहाँ आत्मा जीती है।


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