बंदरों के कृत्रिम आतंक का पर्दाफाश! “संजय पाण्डे की मुहिम लाई असर!”

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Meru Raibar विशेष रिपोर्ट

“बंदरों के आतंक पर प्रशासन को झकझोरा – अब रानीखेत रेंज को मिले सख्त निर्देश”

📍 सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे की वर्षों की मुहिम लाई रंग, जनआक्रोश ने पकड़ा रफ्तार


अल्मोड़ा शहर में कृत्रिम रूप से छोड़े जा रहे बंदरों के आतंक पर अब प्रशासनिक तंत्र नींद से जागता दिख रहा है। सड़क, स्कूल, अस्पताल और घरों तक में बंदरों का उत्पात अब आम लोगों की ज़िंदगी पर भारी पड़ रहा था, और प्रशासन लंबे समय तक मूकदर्शक बना हुआ था।

लेकिन जब कोई समस्या सिस्टम नहीं सुलझाता, तब कोई नागरिक आगे आता है — और इस बार वो नाम है: संजय पाण्डे।


🐒 बंदरों की घुसपैठ या साजिश?

पिछले कुछ वर्षों में अल्मोड़ा में अचानक बंदरों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई, और शक की सुई बाहरी क्षेत्रों से जानबूझकर छोड़े जा रहे बंदरों की ओर घूमी।

इस गम्भीर मुद्दे को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे लगातार आवाज उठा रहे थे — कभी मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, कभी वन विभाग, तो कभी जिलाधिकारी कार्यालय


📄 अब आई प्रशासनिक हरकत में तेजी

हाल ही में रानीखेत वन क्षेत्राधिकारी द्वारा पत्र संख्या 2007/10-1, दिनांक 5 जून 2025 को जारी निर्देश में,
“घिघांरीखाल बैरियर” पर बंदरों को लाने वाले संदिग्ध वाहनों की जांच और उन पर सख्त कार्रवाई करने को कहा गया है।

यह आदेश सीधे-सीधे उस लोकदबाव और शिकायतों का नतीजा है, जो संजय पाण्डे जैसे नागरिकों ने वर्षों से बनाकर रखा।


📢 नगर निगम और प्रशासन की चुप्पी अब सवालों के घेरे में

संजय पण्डे की माने तो जिलाधिकारी स्वयं यह स्वीकार चुके हैं कि बंदर छोड़े जा रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कार्य योजना अब तक ज़मीन पर नहीं उतरी है।

वहीं नगर निगम, जिसने चुनावी वादों में बंदरों से मुक्ति का वादा किया था, अब मौन साधे बैठा है


“मैं रुकने वाला नहीं”: संजय पाण्डे का जनसंकल्प

मैं राजनैतिक नहीं, सामाजिक कार्यकर्ता हूं। मेरा मकसद है — समाधान। शोहरत या स्वार्थ नहीं।

संजय पाण्डे ने साफ कहा है कि यह लड़ाई अब राज्य स्तर पर आंदोलन का रूप ले सकती है, यदि प्रशासन ने हल्के में लिया।


🛠️ जनसेवा में अग्रणी – सिर्फ बंदर ही नहीं, हर मोर्चे पर सक्रिय

संजय पाण्डे की छवि सिर्फ एक मुद्दे तक सीमित नहीं:

  • स्वास्थ्य सेवाएं: MRI, CT Scan, ENT, ब्लड बैंक, नशा मुक्ति केंद्र और लेप्रोस्कोपी मशीन जैसे कई स्वास्थ्य सुधार कार्यों में प्रमुख भूमिका।
  • संचार सेवाएं: Airtel, Jio, BSNL, Vodafone जैसी कंपनियों से संवाद कर क्षेत्र में नेटवर्क सुधार।
  • सफाई अभियान: नालियों, कलमठों की सफाई हेतु लोक निर्माण विभाग से समन्वय।

🕊️ एक आवाज जो पूरे सिस्टम को जगा गई

जब अफसरशाही मौन हो जाए, और जनप्रतिनिधि अपने वादे भूल जाएं, तब एक जनसामान्य की सतत आवाज़ पूरा सिस्टम हिलाकर रख देती है।
आज संजय पाण्डे उसी आवाज़ का नाम बन चुके हैं।

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