उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने अल्मोड़ा जनपद के सरायखेत गाँव निवासी COVID-19 के कारण बेरोज़गार होकर अपने गाँव वापस आये श्री महिपाल द्वारा सपरिवार मय पशुओं के आत्महत्या की घटना पर गहरा रोष और क्षोभ व्यक्त किया है।
सरकार की नालायकी के कारण इस तरह की घटनायें रोज़ घटित हो रही हैं।
उपाध्याय ने कहा कि वे वनाधिकारों के कार्यक्रम में अभी बागेश्वर गये थे तो उन्हें बताया गया कि वहाँ छोटे से जिले में अभी 30 से अधिक लोग आत्महत्या कर चुके हैं, सरकार निश्चिन्त होकर कुम्भकर्ण की अवस्था को प्राप्त हो गयी है।
उपाध्याय ने कहा कि सरकार अविलम्ब श्री महिपाल व उनके परिवार के ईलाज़ की व्यवस्था करे और प्रदेश में इस तरह की घटनायें न हों, सुनिश्चित करे।
उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंडियों को जल,जंगल और ज़मीं पर पुश्तैनी हक़-हकूक़ व वनाधिकार बहाल करने से इस तरह की घटनायें नहीं होंगी।
उपाध्याय ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार तुरन्त वनाधिकार क़ानून-2006 को लागू करते हुये निम्न सुविधायें :-
राज्यवासियों को
केंद्र सरकार की सेवाओं में आरक्षण, परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी,
प्रतिमाह एक गैस सिलेंडर, बिजली और पानी निशुल्क,जड़ी-बूटियों पर स्थानीय समुदाय का अधिकार, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवायें निशुल्क, एक यूनिट आवास बनाने हेतु लकड़ी, बजरी व पत्थर निशुल्क, जंगली जानवरों द्वारा जन हानि पर 25 लाख रू. क्षतिपूर्ति व परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी, जंगली जानवरों द्वारा फसल के नुक़सान पर प्रतिनाली
रु 5000/- क्षतिपूर्ति दी जाय।
उन्होंने उत्तराखंडियों का आह्वान किया है कि वे अपने हक़-हकूक़ों को लेने के लिये जागरूक हों।