एमसीडी के चुनाव में बीजेपी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव प्रचार में झोंका और आम आदमी पार्टी पर गंभीर आरोप लगते हुए कई वीडियो जारी किए. इन सब के बाद भी एमसीडी से बीजेपी के शासन का अंत होता दिखाई दे रहा है.
तो क्या इसका कारण क्या है ?
बीजेपी से कहां चूक हुई?
कैसे आम आदमी पार्टी बीजेपी पर भारी पड़ गई ?
क्यों बीजेपी से दिल्ली के लोगों का विश्वास कम हो गया?
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अगर एग्जिट पोल की बात करें तो एमसीडी में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत का ऐलान किया जा रहा है .
ढाई सौ में से करीब 150 सीटें अगर आम आदमी को मिल जाती हैं तो बीजेपी को एक बार फिर से चिंतन – मंथन करना होगा कि आखिर दिल्ली में पूरी ताकत झोंकने के बाद भी वह आम आदमी पार्टी का तिलिस्म क्यों नहीं तोड़ पाती है?
बात सिर्फ इस बार के एमसीडी चुनाव की नहीं है . केजरीवाल 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में भी अपना जादू दिखा चुके हैं . 2015 में केजरीवाल दिल्ली की 70 में से 67 सीट पर चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बन चुके वैसे ही जीत 2020 में उन्हें मिली जब 70 में से 62 सीट पर उन्हें जीत मिली . एक बार फिर एमसीडी में काबिल बीजेपी को आम आदमी पार्टी बेदखल करती है तो बीजेपी को इसके मायने तलाश करने होंगे. देखा जाए तो कुछ बड़ी बातें हैं जिन पर बीजेपी को गौर करना होगा एक तो ये कि पीएम मोदी के चेहरे पर हर चुनाव नहीं जीता जा सकता . दिल्ली में बीजेपी को नए चेहरे की तलाश करनी होगी. स्थानीय मुद्दों पर आम आदमी पार्टी को घेरने में बीजेपी कामयाब नहीं हो सकी. सत्येंद्र जैन के जेल वीडियो भी काम नहीं आए शराब घोटाला भी काम नहीं आया
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ये बात अब साफ हो गई है कि दिल्ली में अब बीजेपी के पास केजरीवाल के कद और चेहरे का मुकाबला करने वाला कोई नेता नहीं है . मोदी के चेहरा पर लोगों को जुटाया तो जा सकता है लेकिन उसे जीत में बदलना अब मुश्किल होता है . बीजेपी एमसीडी चुनाव को मूल मुद्दों की बजाय दूसरे मुद्दों की तरफ घुमाती रही, कभी कथित शराब घोटाला तो कभी सत्येंद्र जैन के वीडियो को लेकर . जनता के बीच इन मुद्दों का ज्यादा असर नहीं हुआ, वही आम आदमी पार्टी बीजेपी को कूड़े के ढेर और साफ सफाई के मुद्दे पर घेरने में कामयाब हुई
जहां तक कथित शराब घोटाले का मामला है तो दाखिल की गई चार्जशीट में मनीष सिसोदिया का नाम नहीं था जबकि बीजेपी उन पर घोटाले का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाती रही
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अरविंद केजरीवाल एक बार फिर लोगों को यह समझाने में कामयाब रहे कि उनकी सरकार काम करना चाहती है लेकिन केंद्र सरकार रोड़े अटका रही है, लिहाजा एग्जिट पोल के मुताबिक लोगों ने एमसीडी में आम आदमी पार्टी के पक्ष में जनादेश दे दिया है .