बचपन बचा — सख्ती और समझाइश से रुकी मासूमों की सगाई

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“समय रहते बचाया बचपन — फिर रोकी गई 17 वर्षीय लड़के और 12 वर्षीय बच्ची की सगाई”

📍 जखोली/रुद्रप्रयाग, 22 मई 2025

समाज के कोने में पलता एक अपराध, जिसे परंपरा का नाम दिया गया — बाल विवाह।
लेकिन अब यह चुप्पी टूट रही है, और जागरूकता की आवाज़ें बच्चों का बचपन बचा रही हैं।

एक बार फिर महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की सक्रियता और तत्परता से एक और बाल सगाई को समय रहते रोका गया।
इस बार मामला था 17 वर्षीय लड़के और 12 वर्षीय बच्ची की सगाई का, जो जखोली ब्लॉक के जखवाड़ी और कपनिया गांवों से जुड़ा था।


⚠️ गुप्त सूचना पर तुरंत हरकत में आई टीम

जैसे ही इस संभावित बाल सगाई की सूचना मिली, जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अखिलेश मिश्रा के निर्देश पर एक संयुक्त टीम बनाई गई।
टीम में शामिल थे:

  • वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक रंजना गैरोला भट्ट
  • चाइल्ड हेल्पलाइन से समन्वयक अरविंद सिंह
  • केस वर्कर अखिलेश सिंह
  • बाल कल्याण समिति की सदस्य पूजा त्रिवेदी
  • जखोली चौकी प्रभारी विनोद कुमार
  • पटवारी नरेंद्र रावत
  • आंगनवाड़ी कार्यकर्ता राजेश्वरी देवी

टीम ने पहले नाबालिग बालिका और फिर बालक के घर जाकर परिवारजनों से बातचीत की। उन्हें बाल विवाह निषेध कानून की जानकारी दी गई और स्पष्ट किया गया कि:

“18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के का विवाह या सगाई अपराध की श्रेणी में आता है, और इसके लिए जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।”


🛑 कानूनी चेतावनी, सामाजिक समझाइश और बचा एक मासूम बचपन

परिजनों को यूसीसी (Uniform Civil Code) के तहत बाल विवाह से जुड़ी कानूनी धाराओं और सजा के प्रावधानों से अवगत कराया गया।
सख्त हिदायत दी गई कि बच्चों की शिक्षा और मानसिक विकास के लिए यह कदम तुरंत रोका जाए।

टीम की सजगता से न सिर्फ एक गैरकानूनी कार्य रुका, बल्कि दो मासूमों का बचपन भी बर्बाद होने से बच गया।


📊 21 मामलों को अब तक रोका गया — बढ़ती जागरूकता का असर

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान अब रंग लाने लगे हैं।
केवल इस वर्ष अभी तक 21 मामलों में बाल विवाह और सगाई को रोका जा चुका है।
यह आंकड़ा सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि बचपन के अधिकारों की जीत है।

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