देहरादून। उत्तरखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने किसान आन्दोलन का विरोध कर रहे लोगों पर कडा हमला बोलते हुए कहा कि लगभग 62 दिनों से लोकतांत्रिक एवं शान्तिप्रिय ढंग से आन्दोलनरत किसानों के ऊपर आज जिस तरह की अनर्गल एवं अभद्र टिप्पणियां की जा रही हैं तथा इस आन्दोलन को बदनाम करने की जो साजिसें हो रही हैं उसकी कांग्रेस पार्टी कडे शब्दों में निन्दा करती है। प्रीतम ने कहा कि देश का अन्नदाता अपनी मात्र एक मांग को लेकर केन्द्र सरकार से लगातार आग्रह कर रहा है कि जो तीन काले कानून उसके ऊपर जबरन थोपे जा रहे हैं उसे केन्द्र सरकार वापस ले। लेकिन लगभग 12 बार की वार्ता के बावजूद किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है, उसका कारण यह था कि केन्द्र सरकार की मंशा ही इन कानूनों को वापस लेने की नहीं थी। ऐसा प्रतीत होता है जैसे केन्द्र सरकार चंद पूंजीपतियों के हाथों की कठपुतली बनी हुई है तथा उनके ही इशारों पर अपनी हठधर्मिता पर अडी हुई है।
प्रीतम ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि वैश्विक महामारी कोरोना काल के दौरान मोहम्मद साद पर आरोप लगाने के बावजूद सरकार उसकी धरपकड करने में नाकाम रही। आज बालाकोट स्ट्राईक की वह्राटस एप चैट पूरे देश के सामने है तथा यह बात उजागर हो चुकी है कि एक तथा कथित चैनल के मालिक को इस स्ट्राईक की गोपनीय सूचनायें पहले से ही थी इस पर सरकार का कोई भी नुमाइंदा अपनी जुवान खोलने को राजी नहीं है। प्रीतम ने 26 जनवरी के घटनाक्रम को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि आज देश का जवान और देश का किसान ही आपस में लडाये जा रहे हैं। किसान आन्दोलन की बिजली, पानी की सप्लाई काटने का काम केन्द्र की भाजपा सरकार ने किया। किसान को थका दिया जाय और भगा दिया जाय इस नीति पर केन्द्र सरकार लगातार काम कर रही है, लेकिन सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि वह देश के अन्नदाताओं की मांग का पुरजोर समर्थन करती है और उनके आन्दोलन को भी अपना पूर्ण समर्थन देती है।
कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम ने केन्द्र सरकार पर उस विवादास्पद व्यक्ति पर भी कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगाया जिसकी फोटो न सिर्फ भाजपा के एक सांसद बल्कि गृहमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। जब इस बात की पुष्टि हो गई है कि यही वह व्यक्ति है जिसने लाल किले की गरिमा को तारतार करने का काम किया तो आखिर इस व्यक्ति पर किसके संरक्षण के तहत कार्रवाई नहीं हो रही है जबकि बाकी लोगों पर देशद्रोह जैसे मुकदमे लगा दिये गये हैं? ऐसा प्रतीत होता है कि किसान आन्दोलन को बदनाम करने की नीयत से कुछ लोगों को घुसपैठ की छूट दी जा रही है। प्रीतम ने 26 जनवरी को गाजीपुर बार्डर पर किसान भाईयों के साथ बल प्रयोग तथा आज सिंघु बार्डर पर किसानों से झडप के बाद लाठीचार्ज व आंसूगैस का प्रयोग करने की कडे शब्दों में निन्दा करते हुए कहा कि जो अन्नदाता पूरे देश का पालनहार है उसके साथ इतनी क्रूरता से बल प्रयोग करने की क्या आवश्यकता थी और जब केन्द्र सरकार को इस बात का आभास था कि 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली में असामाजिक तत्वों की भी घुसपैठ रहेगी तो ऐसे में समय रहते कोई कार्रवाई गृह मंत्रालय की ओर से क्यों नहीं की गई। आज जिस तरह से इस आन्दोलन को बदनाम करने की और इस आन्दोलन को लेकर तरह-तरह की कोशिश की जा रही है उसमें केन्द्र की भाजपा सरकार कतई सफल नहीं होगी।