देहरादून। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रमुख मनवीर सिंह चौहान ने सिक्ख समुदाय पर कांग्रेस नेता हरक सिंह की टिप्पणी को अशोभनीय और समुदाय की भावना को आहत करने वाला करार देते हुए कहा कि कांग्रेस का यही चरित्र है और असंसदीय भाषा के बाद पश्चाताप की नौटंकी से उसका असली चेहरा सामने आ गया है। चौहान ने कहा कि हरक सिंह रावत के अभद्र बयान पर कांग्रेस अचानक डिफेंस मोड में आ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मैदान में उतरकर कह रहे हैं कि “हम खेद प्रकट करते हैं और गुरुद्वारों में सेवा कर पश्चाताप करेंगे।” लेकिन सवाल यह है कि क्या कांग्रेस की नई राजनीति यही है, पहले हिंदू और सिख अस्मिता पर हमला करो, फिर इसे “जुबान फिसल गई” कहकर गुरुद्वारों-मंदिरों की देहलीज़ पर जाकर नकली पश्चाताप का नाटक किया जाय। उन्होंने कहा कि अगर हरीश रावत वास्तव में पश्चाताप की भावना से ओतप्रोत हैं, तो क्या वे उन ऐतिहासिक अपराधों पर भी माफी मांगेंगे जिनकी जड़ में कांग्रेस की सोच और सत्ता की हवस रही है।
ऑपरेशन ब्लू स्टार के कलंक को कौन धोएगा? 1984 के सिख विरोधी दंगों की आग में झुलसे हजारों परिवारों की चीखों का जवाब कौन देगा? भोपाल गैस त्रासदी में तड़पती जिंदगियों का पाप किसके नाम लिखा है? क्या इन सबका प्रायश्चित सिर्फ टीवी कैमरों के सामने पश्चाताप के घड़ियाली आंसु बहाने से पूरा हो जाएगा? चौहान ने कहा कि वह उत्तराख मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के पुरोधा रहे हैं। उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी का एजेंडा चलाना, जुम्मे की छुट्टी लागू करने की पैरवी करने जैसे फैसले किसके वोट की फसल बोने की साज़िश थी? कांग्रेस की नीति हमेशा वोट बैंक पहले, राष्ट्र और धर्म बाद में की रही है।
जहाँ तक हरक सिंह रावत की बात है, भाषा निश्चित रूप से अशोभनीय थी, लेकिन उन्होंने कांग्रेस की आत्मा में छिपी उस सच्चाई को उघाड़कर सामने रख दिया जिसे कांग्रेस सालों से पर्दे में छुपाए बैठी थी। आज हरीश रावत खेद जता रहे हैं, सेवा की बातें कर रहे हैं। लेकिन क्या कैमरे ऑन कर दो लाइन बोल देने से इतिहास के खून से सने पन्ने धुल जाएंगे? कांग्रेस के पापों की किताब बंद कर देना क्या इतना आसान है। उन्होंने कहा कि इतिहास भारत आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करने के बाद भी यह सवाल बना रहेगा कि सिखों पर किए अत्याचारों की असली माफी कब मिलेगी? और सच्चाई यही है यह विवाद हरक सिंह की जुबान फिसलने का नहीं, कांग्रेस की सोच खुलकर सामने आने का है। यही कांग्रेस की सबसे बड़ी बेचैनी और डर है।
