खुरपका रोग की चपेट में गौमाता ।
सड़क पर छोड़ी गई निराश्रित गायो के लिए आगे आये अंकित।
खुरपका रोग से ग्रस्त गायो को कोई नही करता देखभाल।
गिरीश गैरोला
माँ का दूध पीकर उसे बुढ़ापे में सड़क पर छोड़ने की आदत पर कथा प्रवचन का भी कोई असर होता नही दिख रहा है। तभी तो दूध पीने के बाद इंसान गौ माता को सड़क पर छोड़ देने की अपनी प्रवृत्ति को त्याग नही पा रहा है। इसके बाद भी कुछ ऐसे भी लोग है जो ऐसे लोगो को अपनी गलती का अहसास कराने से नही चूकते । डुंडा के अंकित भी उनमें से एक है जो गौ माता को अपनी जीवन देने वाली माता से तुल्य मानकर उस्की सेवा में जुट गए है।
जनपद उत्तरकाशी के डुंडा कस्बे में निराश्रित गाये खुरपका रोग से ग्रसित है और कोई उनकी सुध लेने वाला नही है। बीमारी के चलते इनके खुर में कीड़े पड़ने लगे है। युवा अंकित बंठवान ने पहल करते हुए इन गायों का उपचार सुरु किया। हालांकि उन्हें पशुपालन विभाग से अपेक्षित सहयोग नही मिला अंकित ने बताया कि पशु अस्पताल से दो बजे के बाद डयूटी समाप्त होने का बहाना सुनाया गया । किन्तु उन्होंने हिम्मत नही हारी और अपने प्रयास जारी रखे।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रलयंकर नाथ ने बताया कि पशुओ में खुरपका और मुंहपका रोग की रोकथाम के लिए अप्रैल और मई महीने में टीकाकरण करवाया गया है। जिन पशुओ का टीका करण नही हो सका और वे इस बीमारी की चपेट में है तो वे सबसे पहले पोटेशियम परमेगनेट लाल दवा से पशु के मुह और खुर को ठीक से धुले और उसके बाद इस पर दवा लगाए। उन्होंने बताया कि यह विषाणु से पैदा रोग है और वर्षा काल मे ज्यादा तेजी से फैलता है।
एक पशु से दूसरे पशु को भी फैलता है लिहाजा पशुपालक घास और पानी देते समय सतर्कता वरते। सबसे पहके स्वस्थ पशु को घास और पानी दे और उसके बाद बीमार पशु को। इस बीमारी का टीका रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में 21 दिन का समय लेता है। इस बीच यदि पशु को रोग हो जाय तो टीका न लगाएं बल्कि इलाज कराए। डुंडा इलाके में बीमारी से ग्रस्त गायो के बारे में उन्होंने बताया कि ये सभी गाये मालिको द्वारा सड़क पर छोड़ दी गयी निराश्रित गाये है। सूचना मिलने पर पास के dr गिरीश बर्तवाल अपनी टीम के साथ मौके पर गए थे और आगे भी इन गायो के लिए मौके पर ही इलाजे की व्यवस्था की जाएगी।
धार्मिक मंचो से गौ की महिमा का बखान सुनने के बाद भी लोगो मे गौ के लिए प्रेम प्रकट नही हुआ जबकि जन्म से लेकर मरण तक के सभी संस्कार में गौ
की महत्ता बतायी गयी है। हिंदुओ को वैतरणी पार कराने वेस्ली गौ आज अपने अस्तित्व के लिए सड़क पर दर दर कक ठोकर खाने को मजबूर है