इस बरसात का मानसून उत्तराखंड के कुमाऊं , पिथौरागढ़ जिले में कहर बनकर टूट रहा है। एक के बाद एक आपदा से ग्रामीण सहमे हुए हैं । दबे पांव आ रही आफत की बारिश के बाद सुबह क्या नजारा देखने को मिलेगा कहा नहीं जा सकता, आलम यह है कि लोग सोना बिस्तर पर जाने से पहले अगले दिन क्या होगा इसकी चिंता में ठीक से सो भी नही पा रहे है। सपने में भी आपदा और भूस्खलन ही दिखाई दे रहा है ।
कल की की बारिश ने मुनस्यारी के बंगापानी तहसील में फिर तबाही मचाई मोरी गांव मे मलवा आने से पूरा गांव दब गया हालांकि गांव को पहले ही खाली करा दिया गया था जिससे किसी भी प्रकार की जानमाल की हानि होने से बच गयी,
मगर दुगड़ीगाड का पुल बहने से बरम घाटी का संपर्क बाकी प्रदेश से कट गया है, कल रात की भारी बारिश के बाद बरम को मुनस्यारी धारचूला से जोड़ने वाला पल ढह गया। इस पुल को कुछ महीनों पहले ही ग्रिफ ने तैयार किया था,पुल के टूटने से भरी मलबा गोरी गंगा में समा गया है जिससे नदी में बांध बन गया है और कई गाँव में बाढ़ का पानी घुसने की संभावना बन गयी है
बरम कस्बे के पास बहने वाली नदी पर बना पुल सोमवार रात बहने से पूरे इलाके का सड़क संपर्क कट गया है। इस सड़क की देखरेख सीमा सड़क संगठन करता है। प्रशासन ने सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों से आवागमन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा है। गौरतलब है किि जौलजीबी से आगे मुनस्यारी के बीच में बलमरा, घट्टाबगड़, बरम, लुम्ती, मोरी, बांसबगड़, छोरीबगड़, बंगापानी, सेराघाट, मदकोट, सेबिला, दरांती, दरकोट, जैंती स्टेशन पड़ते हैं। इन स्टेशनों से दर्जनों गांवों के लोग वाहन से आवाजाही करते है।