“डिजिटल अरेस्ट गैंग” का पर्दाफाश – 87 लाख की साइबर ठगी का मास्टरमाइंड बेनकाब!

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🧠 देशभर में दहशत फैलाने वाला “डिजिटल अरेस्ट स्कैम” — देहरादून STF ने बेनकाब किया 87 लाख की साइबर ठगी का मास्टरमाइंड!
बैंगलुरु से पकड़ा गया साइबर गैंग का सरगना — 9 करोड़ से ज़्यादा ट्रांजैक्शन का खुलासा!


देहरादून: 🕵️‍♂️ उत्तराखंड एसटीएफ की साइबर क्राइम टीम ने उस “डिजिटल अरेस्ट गैंग” का पर्दाफाश कर दिया है, जिसने पूरे भारत में दहशत फैला रखी थी। देहरादून और नैनीताल के लोगों से करीब ₹87 लाख की ठगी करने वाले इस गैंग का मास्टरमाइंड बैंगलुरु से गिरफ्तार किया गया है।

अभियुक्त की पहचान किरण कुमार (31 वर्ष) के रूप में हुई है, जो महीनों से देशभर में अलग-अलग लोगों को “सीबीआई ऑफिसर” और “मुम्बई पुलिस” बनकर डराता और डिजिटल अरेस्ट कर उनसे रकम वसूलता था।


💻 क्या है “डिजिटल हाउस अरेस्ट स्कैम”?

यह वो खतरनाक साइबर ठगी है जिसमें अपराधी व्हाट्सएप या वीडियो कॉल के जरिए खुद को सरकारी अफसर बताकर लोगों को डिजिटली हाउस अरेस्ट कर लेते हैं।
उन्हें कहते हैं – “आपके नाम पर ड्रग्स या मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है!”
फिर 48 घंटे तक उन्हें डर और धमकी में रखकर “वेरिफिकेशन” के नाम पर उनके सारे बैंक अकाउंट्स से पैसे ट्रांसफर करा लेते हैं।


😨 देहरादून और नैनीताल के पीड़ित

एक देहरादून निवासी ने बताया कि अगस्त-सितंबर 2025 में उसे “सीबीआई अधिकारी” बनकर वीडियो कॉल आई। कॉलर ने कहा कि उसके आधार कार्ड पर अवैध खाते खुले हैं और उस पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस चल रहा है।
48 घंटे तक लगातार धमकियाँ दी गईं।
आखिरकार डर के मारे उसने ₹59 लाख अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए।

इसी तरह कालाढूंगी (नैनीताल) निवासी एक व्यक्ति से ₹28 लाख ठगे गए।


🔍 जांच ने खोले कई राज़

एसटीएफ ने जब बैंक और सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों से डेटा मंगाया, तो खुलासा हुआ कि यह गिरोह पूरे भारत में सक्रिय था।
सिर्फ एक खाते — YES Bank Account No. 099026900000152 — से ₹9 करोड़ से ज़्यादा के संदिग्ध लेनदेन सामने आए।

इस खाते से जुड़े मोबाइल नंबर 9035585938 और 9591726128 की लोकेशन येलहंका, बैंगलुरु मिली।
स्थानीय पुलिस की मदद से किरण कुमार के.एस. को गिरफ्तार किया गया।

बरामदगी में मिले:

  • तीन मोबाइल फोन 📱
  • दो सिम कार्ड
  • कई बैंक खातों की चेकबुक्स
  • UPI QR कोड
  • एक Dell लैपटॉप 💻
  • फर्जी कंपनियों के डॉक्युमेंट्स

🧩 फर्जी कंपनियों की आड़ में ठगी का जाल

अभियुक्त ने Rajeshwari GAK Enterprises और SGAKK Innovation Pvt. Ltd. के नाम से फर्जी फर्में खोल रखी थीं।
इन फर्मों के जरिए लाखों रुपये का मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क चलाया जा रहा था।
दूसरी आरोपी राजेश्वरी रानी, तमिलनाडु निवासी, को भी कानूनी नोटिस जारी किया गया है।


👮‍♂️ पुलिस का बयान

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ श्री नवनीत सिंह ने कहा —

“डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर स्कैम आज के सबसे खतरनाक अपराधों में हैं। कोई भी एजेंसी वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी नहीं करती। ऐसे मामलों में तुरंत 1930 या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।”


⚠️ सावधान रहें – आपकी स्क्रीन ही आपका जाल न बन जाए!

👉 किसी अनजान नंबर से आने वाली वीडियो कॉल या “पुलिस/CBI/E.D.” नाम से कॉल पर भरोसा न करें।
👉 कोई भी सरकारी एजेंसी व्हाट्सएप या स्काइप पर कार्रवाई नहीं करती।
👉 Google से मिले कस्टमर केयर नंबरों पर न जाएं – ये भी ठगों का जाल हो सकता है।
👉 “YouTube लाइक करो, निवेश करो, डबल पैसा पाओ” जैसे ऑफरों से दूर रहें।


सोचिए:
अगर 48 घंटे का डर किसी ईमानदार इंसान से उसकी ज़िंदगी की जमा पूंजी छीन सकता है —
तो ज़रूरत है जागरूकता की, न कि डर की।

साइबर ठगों से सावधान रहें — और किसी भी संदिग्ध कॉल पर तुरंत “कॉल काटें, पुलिस को बताएं!” 🚨


क्या आप भी ऐसी किसी ठगी का शिकार हुए हैं?
📞 1930 पर कॉल करें या जाएं 👉 cybercrime.gov.in

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